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एक समय जो गांव जिला हुआ करता था वह आज मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहा

गुना, 14 फरवरी (हि.स.)। गांव के संपूर्ण विकास के लिए सरकार विभिन्न योजनाओं के जरिए करोड़ों रुपये का बजट खर्च कर रही है। इसके बावजूद आज भी कई गांव मूलभूत सुविधाओं से महरूम बने हुए हैं। ऐसी ही एक पंचायत है बजरंगगढ़। जो जिला मुख्यालय से महज 6 किमी की दूरी पर स्थित है। चिंताजनक बात तो यह है कि बजरंगगढ़ एक समय जिला मुख्यालय हुआ करता था, लेकिन आज इसकी हालत गांव से भी बद्तर है। यहां पैदल चलने सुविधाजनक सडक़ तक नहीं है। गांव में पुरानी इमारतों को देखकर कोई भी यह अंदाजा तो लगा सकता है कि यहां पहले कभी राजा महाराजा रहे होंगे। लेकिन इस गांव की हालत इतनी दयनीय हो जाएगी यह किसी ने सोचा था। जानकारी के मुताबिक वर्तमान में भले ही बजरंगगढ़ को शासकीय दस्तावेजों में सिर्फ ग्राम पंचायत का दर्जा प्राप्त है। जिसकी कुल 10 हजार के करीब है। लेकिन यहां स्थित प्राचीन व ऐतिहासिक किले ने इसे प्रदेश ही नहीं देश में एक अलग पहचान दिलाई है। यहीं नहीं गांव में स्थित जैन मंदिर के अलावा बीस भुजी मंदिर की ख्याति भी दूर दूर तक है। जिसके कारण यहां दर्शन करने देश भर के कोने कोने से श्रद्धालु आते हैं। कुल मिलाकर बजरंगगढ़ की पहचान पुरातत्व महत्व की धरोहरों की वजह से अलग है। इतना सब होने के बावजूद भी बजरंगगढ़ में जरूरी विकास लंबे समय से अवरुद्ध है। बजरंगगढ़ किस तरह प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि गांव में प्रवेश करने वाला डेढ़ किमी के मार्ग में पिछले 10 साल से सडक़ नहीं बन पाई है। बाहर से जो पर्यटक व दर्शनार्थी आते हैं वह ऐसी हालत देखकर प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को कोसते नजर आते हैंं। - सफाई के लिए नहीं है कोई व्यवस्था 10 हजार आबादी वाली बजरंगगढ़ पंचायत में सफाई के लिए कोई पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। पंचायत के कर्ताधर्ताओं का कहना है कि उनके पास इतना बजट नहीं है कि वह एक एक गली में ठीक से सफाई करवा सकेें। हालांकि अब शासन ने इस व्यवस्था के लिए गांव वालों से ही टैक्स वसूलने का प्रावधान कर दिया है। जिसके तहत पंचायत की मीटिंग भी हो गई है। जिसमें तय हुआ कि कि दुकानदारों से 5 रुपये प्रतिदिन तथा घरों से 2 रुपये प्रतिदिन स्वच्छता शुल्क लिया जाएगा। - गांव को तहसील बनाने की उठ चुकी है मांग बजरंगगढ़ गांव जो एक समय मुख्यालय हुआ करता था। उससे यह दर्जा छिनने के बाद स्थानीय निवासियों ने इसे तहसील बनाने की मांग भी की थी। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे लीड करते हुए तहसील बनाने काफी समय तक आंदोलन भी चलाया। लेकिन यह गांव तहसील तो आदर्श गांव का दर्जा तक हासिल नहीं कर सका। - यह बोले जिम्मेदार पंचायत के पास जितना बजट है उसी से काम कराया जा रहा है। जहां तक सडक़ न बनने का सवाल है तो यह पीडब्ल्यूडी के अंडर में आती है। बताया जाता है कि मंजूर तो हो गई है लेकिन काम कब शुरू होगा पता नहीं। सफाई के लिए बजट का अभाव है। नए प्रावधानों के तहत अब गांव से ही टैक्स वसूलकर सफाई करवाई जाएगी। -हरिओम सेन, सचिव, ग्राम पंचायत बजरंगगढ़ हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक-hindusthansamachar.in

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