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बिड़ला घराना के ग्रेसिम पर मंडराया 15 करोड़ बैंक गारंटी जब्ती का खतरा

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समक्ष राशि बचाने के लिए प्रबंधन की पेशकश उज्जैन/नागदा, 29 जनवरी (हि.स.)। उज्जैन जिले में संचालित बिड़ला घराने का ग्रेसिम उद्योग प्रबंधन शासकीय भूमि पर अतिक्रमण, जलवाल तालाब शासन द्वारा अधिग्रहण करने तथा एक लाख का जुर्माना के दंड से उभर भी नहीं पाया कि दूसरा एक और बड़ा खतरा मंडरा गया है। उद्योग की एक शून्य निस्त्राव योजना अर्थात जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य जनवरी 2021 तक पूर्ण नहीं करने पर बैंक में जमा 15 करोड़ की गारंटी राशि जब्त होने का अंदेशा हो गया है। यह राशि मप्र प्रदूषण बोर्ड की निगरानी में है। हालांकि, प्रबंधन ने प्रोजेक्ट निर्माण की अवधि बढ़ाने के लिए शासन-प्रशासन के समक्ष ताकत झोंक दी है। प्रोजेक्ट को क्रियान्वित करने का समय अब मात्र दो दिन शेष है और उद्योग प्रबंधन मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समक्ष अभी तक अंतिम रिपोर्ट पेश नहीं कर पाया। पूरा मामला नेशनल ग्रीन टिब्यूनल के आदेश से जुड़ा है, इसलिए अब इसके निर्माण की अवधि बढ़ाने में मामला कानूनी दाव-पेंच में उलझता दिख रहा है। बोर्ड मेम्बर सेक्रेटरी से बातचीत प्रोजेक्ट को लेकर हिन्दुस्थान समाचार संवाददाता ने बोर्ड के सदस्य सचिव एए मिश्रा से उनके कार्यालय भोपाल में आमने-सामने बातचीत की। लगभग 10 मिनट की बातचीत में सदस्य सचिव ने इस बात की पुष्टि की हैकि ग्रेसिम के जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन की समय सीमा जनवरी 2021 में समाप्त हो रही है। कार्य पूरा करने के लिए ग्रेसिम ने बतौर बैंक गारंटी 15 करोड़ जमा किये हैं। सदस्य सचिव से जब सवाल किया गया समय सीमा में प्रोजेक्ट पूरा नहीं होने पर क्या ग्रेसिम प्रबंधन ने कोई आवेदन किया है। उनका कहना थाकि कोविड- 19 का आधार लेकर प्रबंधन ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की है। उनका यह भी कहना थाकि इस मांग को केंद्र के समक्ष भी रखा है। सदस्य सचिव के मुताबिक ग्रेसिम की यह दलील भी आई हैकि प्रोजेक्ट के उपकरण विदेश की तकनीकी पर आधारित है। कोविड के कारण हवाई जहाज आदि से इनको लाने में अड़चन आने से प्रोजेक्ट की समय सीमा बढाने के लिए ग्रेसिम ने मांग की है। उन्हें यह बताया गया कि नपा नागदा ने इस प्रोजेक्ट के निर्माण को अवैघ घोषित कर न्यायालय में ग्रेसिम के यूनिट हेड को नामजद पार्टी बनाया है। समीक्षा बैठक के बाद अध्यक्ष की चेतावनी इस प्रोजेक्ट पर केंद्रित लगभग 100 पेज के अभिलेख हिंस संवाददाता के हाथ लगे हैं। समय सीमा बढ़ाने के मामले में अब उद्योग प्रबंधन को बड़ी बाधा यह आ सकती हैकि बोर्ड की एक समीक्षा बैठक कार्यवाही विवरण 8 जुलाई 2020 में अध्यक्ष के हवाले से यह खुलासा किया गया हैकि ग्रेसिम की शून्य निस्त्राव योजना समयबद्ध कार्ययोजना को लागू करने की समय सीमाओं में किसी प्रकार का संशोधन नहीं किया जाएगा तथा उद्योग निर्धारित समय सीमा में कार्य पूर्ण करने का प्रयास करेगा। इस कार्यवाही विवरण पर बोर्ड के सदस्य सचिव के हस्ताक्षर है। यह अभिलेख हिस के पास सुरक्षित है। अभिलेख के अनुसार ग्रेसिम के इस प्रोजेक्ट को लेकर बोर्ड के आला अफसरों एवं ग्रेसिम प्रबंधन के बीच समीक्षा बैठक 2 जुलाई 2020 को हुई थी। प्रमाणित एवं सुरक्षित दस्तावेजों के अनुसार बैठक में ग्रेसिम के यूनिट हेड के. सुरेश, उपमहाप्रबंधक अभय नागर, विकास दुबे एवं संजय नागर ने भाग लिया था। बैठक के दस्तावेजों के अनुसार ग्रेसिम यूनिट हेड ने योजना में विलंब होना स्वीकार किया है तथा जनवरी 2021 के स्थान पर जून 2021 तक पूरा करने की संभावना जताई थी। बैंक गारंटी के अभिलेख इस प्रकार ग्रेसिम उद्योग ने समय सीमा में प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए जो 15 करोड़ की बैंक गारंटी जमा की थी उसके सारे प्रमाणित प्रमाण हिंस नागदा के पास सुरक्षित है। ग्रेसिम के यूनिट हेड के. सुरेश के हस्ताक्षर से मप्र प्रदूषण बोर्ड के मेम्बर सेक्रटरी के नाम एक पत्र में 15 करोड़ राशि बैंक में जमा करने की सूचना दी गई है। यह राशि ग्रेसिम ने एचडीएफसी बैंक शाखा रिंग रोड इंदौर में जमा की है। जिसकी विधिवत सूचना ग्रेसिम ने बोर्ड सदस्य सचिव को प्रेषित की है। यह जानकारी भोपाल प्रदूषण कार्यालय में 9 दिसम्बर 2019 को प्राप्त की गई। अलग-अलग बैंक गारंटी नम्बर पर आधरित कुल 7 गारंटियों के दस्तावेज बैंक ने 27 नवम्बर 2019 को जारी किए, जिनकी वैधता की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2021 निर्धारित की गई है। सभी सात बैंक गारंटियों में क्रमशः 125 लाख, 450 लाख, 300 लाख, 160 लाख, 200 लाख, 80 लाख 185 लाख रुपये शामिल है। कुल राशि 1500 लाख अर्थात 15 करोड़ जमा करने का संदर्भ दिया गया है। इस पूरे मामले में अब विधिवेत्ताओं का मानना हैकि यह प्रोजेक्ट एनजीटी के आदेश पर बनाया जा रहा है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में यह निर्माणाधीन है। ऐसी स्थिति में समय सीमा उल्लघंन की स्थिति में बोर्ड यदि समय सीमा बढाता है तो एनजीटी से यदि किसी ने हस्तक्षेप करने की मांग उठाई तो ग्रेसिम पर संकट खड़ा हो जाएगा। क्या बोले ग्रेसिम जनसंपर्क अधिकारी ग्रेसिम के जनसंपर्क अधिकारी संजय व्यास से इस बात का पक्ष जानने का प्रयास किया गया कि ग्रेसिम के जेएलडी प्लांट निर्माण की समय सीमा बढ़ाने को लेकर कोई आवेदन किया गया है। उनका कहना थाकि इस मामले में उनको कोई जानकारी नहीं है। उनका यह भी कहना थाकि यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। हिन्दुस्थान समाचार/ कैलाश सनोलिया-hindusthansamachar.in

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