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महिला खरीदी केन्द्रों की बागडोर पुरुषों के हाथ में

अशोकनगर,14 अप्रैल (हि.स.)। शासन द्वारा इस बार समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए सहकारी समिति के अलावा महिला स्व-सहायता समूहों को भी जिम्मेदारी सौंपी गईं हैं, पर देखने पर में आ रहा है कि महिला स्व-सहायता समूहों का तो केवल नाम भर है, खरीदी प्रक्रिया पुरुष ही करवा रहे हैं। ऐसे में शासन भले ही महिला स्व-सहायता समूहों को हाथों में खरीदी की जिम्मेदारी दे कर महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने की अपनी मंशा पूरी करने के ईमानदार प्रयास कर रहा है पर पुरुषों की जमी जमाई सत्ता खिसक न पाए इसके लिए पुरुष, महिलाओं को इस काम से दूर रखे हुए हैं और खुद ही खरीदी केंद्रों पर जमे हुए हैं। जिलेभर में पांच स्व-सहायता समूहों को इस बार समर्थन मूल्य पर खरीदी की जिम्मेदारी मिली है। ग्राम सेजी में लक्ष्मी स्व-सहायता समूह द्वारा, ग्राम पहाड़ा मेें मनसा स्व-सहायता समूह द्वारा खरीदी की जा रही है। पहाड़ा का खरीदी केंद्र शाढौरा में संचालित किया जा रहा है। जब बुधवार को इन दोनों केंद्रों पर जाकर देखा गया कि किस ढंग से खरीदी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं तो खरीदी केंद्रों पर समूह की एक भी सदस्य या पदाधिकारी मौजूद नहीं थीं और पूरा केंद्र पुरुषों द्वारा संचालित किया जा रहा था। केंद्र पर मौजूद नहीं थीं और पूरा केंद्र पुरुषों द्वारा संचालित किया जा रहा था। केंद्र पर शाढौरा में संचालित हो रहा था, उस पर न तो एक भी कर्मचारी मास्क लगाए था और न ही केंद्र पर सेनेटाइजर था। केंद्र पर किसानों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था तो दूर कर्मचारियों को भी पीने पानी नहीं था। यहां दो खाली मटके रखे हुए थे। जहां खरीदी हो रही थी, वहां जगह-जगह बिजली के तार लटक रहे थे। इनसे किसानों या कर्मचारियों ने हादसा होने की आषंका जताई। मनसा स्व-सहायता समूह की संचालिका मीना रघुवंशी सहित समूह की कोई भी सदस्य मौके पर मौजूद नहीं थी जबकि इस केंद्र पर यदि कोई भी अनियमितता होती है तो कार्यवाही की जद में समूह संचालिका सहित अन्य सदस्य भी आ सकती हैं। यही नजारा ग्राम सेजी में लक्ष्मी स्व सहायता समूह द्वारा संचालित केंद्र पर भी दिखा। यहां पानी की व्यवस्था के नाम पर मात्र एक मटका रखा हुआ था इसके अलावा मास्क, सेनेटाइजर या सोशल डिस्टैंसिंग जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी। खरीदी केंद्र पर मात्र एक ऑपरेटर मौजूद था पास में ही एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि केंद्र सुरेंद्र नामक व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा रहा है। जब खरीदी केंद्र पर लगे बोर्ड पर लिखे केेंद्र प्रभारी को फोन लगाया तो सुरेंद्र ने ही फोन उठाया व जानकारी देते हुए बताया कि मैं केंद्र संचालित कर रहा हूं। जाहिर है कि महिला स्व सहायता समूह का नाम तो केवल कागजों में ही संचालित हो रहा है और खरीदी की पूरी बागडोर पुरुषों के हाथों में ही है। बेबस नजर आए तहसीलदार: खरीदी केंद्रों पर भारी अव्यवस्थाओं के बाजूद अधिकारी निरीक्षण करने तो पहुंच रहेे हैं पर व्यवस्थाएं सुधारवाने में यह कोई भूमिका नहीं निभा पा रहे हैं। अधिकांश जगह खरीदी केंद्रों की बागडोर राशन माफियाओं के हाथों में जिस पर कार्यवाही करने में अधिकार खुद को बेबस नजर आ रहे हैं। बुधवार को पहाड़ा के खरीदी केंद्र पर जो कि शाढौरा में संचालित हो रहा है पर व्यवस्थाएं देखने पहुंचें तहसीलदार अनुराग जैन भी तमाम अव्यवस्थाएं देखकर मौजूद पुरुष कर्मचारियों से केवल व्यवस्थाएं बनाने के निर्देश देकर चले गए। कर्मचारियों ने उन्हें देखकर मास्क तो लगा लिए पर अन्य इंतजाम तत्समय नहीं किए गए, जबकि खरीदी केंद्रों प्रारंभ होने से पहले ही कलेक्टर अभय वर्मा ने केंद्रों पर सभी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए थे फिर भी पहाड़ा और सेजी केंद्रों पर भारी अव्यवस्थाएं मिलने के बावजूद तहसीलदार ने इन्हें नोटिस देने की बात तक नहीं की जिससे साफ है कि अधिकारी भी संचालकों के दबाव में हैं। संचालकों की लापरवाही से कोरोना फैला सकते हैं केन्द्र: पहाड़ा व सेजी केंद्रों पर मास्क व सेनेटाइजरूरी व्यवस्थाएं तक खरीदी संचालकों ने नहीं की है। जबकि बाद में मास्क और सेनेटाइजर के नाम पर भारी बिल बनाए जाने की आशंका है। दूसरी ओर व्यवस्थाएं न होने से कोरोना फैलने की भी आशंका है पर खरीदी संचालन में महिलाओं के हाथों में से जिम्मेदारी छीनकर पुरुषों ने केंद्रों पर कब्जा तो कर लिया है पर व्यवस्थाएं नहीं जुटा रहे हैं। ऐसे में आगामी वर्षों में इन समूहों से खरीदी भी छिन सकती है। हिन्दुस्थान समाचार/ आदित्य/ देवेन्द्र

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