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देश को विश्व गुरू बनाने के बजाए प्रधानमंत्री स्वयं बनना चाहते हैं विश्वगुरू : मेघा पाटकर

मिट्टी सत्याग्रह आंदोलन के तहत मेघा पाटकर रतलाम पहुंची रतलाम, 31 मार्च (हि.स.)। संयुक्त किसान मोर्चे की राष्ट्रीय नेता मेघा पाटकर बुधवार को मिट्टी सत्याग्रह आंदोलन के तहत बुधवार को रतलाम पहुंची। यहां उन्होंने कहा कि किसान विरोधी कानून रद्द करने, श्रमिक और खेती उपज का सही दाम (एमएसपी ) पर खरीद की कानूनी ग्यारंटी और शहीद स्मारक का निर्माण करने हेतु मिट्टी सत्याग्रह आंदोलन प्रारंभ किया गया है। यह मिट्टी देश के जलियावाला पंजाब सेे लेकर महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, असम, बंगाल तक की मिट्टी सत्याग्रह के जरिये एकत्र की गई है, जो 5-6 अप्रैल को दिल्ली किसान आंदोलन स्थल पर पहुंचेगी, जहां बन रहे स्मारक में इस मिट्टी का उपयोग होगा। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज देश चारों ओर से संकटों से घिरा है। देश को विश्वगुरू बनाने के बजाय प्रधानमंत्री स्वयं विश्वगुरू बनना चाहते हैं। वे देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहतेे हैं लेकिन गांव तक आत्मनिर्भर नहीं हो पाए हैं। खेत, उद्योग, खनिज, रेल, बीमा, बैंक तथा दूरसंचार विभाग में घुसपेठियों का राज हो गया है। चारों तरफ निजीकरण का दौर है। शत-प्रतिशत मुनाफा पूंजीपतियों की जेबों में जा रहा है। देश के श्रमजीवी और बुद्धिजीवी भी देश बचाने के लिए जंग छेड़े। अपनी ओर सेे अपने बल पर अन्न सुरक्षा हर नागरिक के लिए बचाने का संघर्ष भी छेड़े। उन्होंने कहा कि श्रमिक समुदायों को शोषण करने वाले अडानी, अंबानी जैसे उद्योगपति हमारी संस्कृति से हमें दूर करते जा रहे हैं। आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले शासनकर्ता निजीकरण के जरिये आजीविका की हत्या कर रहे हैं। सार्वजनिक उद्योगों को बड़े पूंजीपतियों को बेचकर देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर रहे हैं। खाद्यान्न की जमाखोरी, राशन व्यवस्था खत्म हो रही है, इससे मेहनतकशों की आजीविका और जिने का अधिकार छिन लिया जाएगा। अभी तक 300 से अधिक किसान शहीद हुए मेघा पाटकर ने कहा कि आज से 100 साल पहले 12 मार्च से 6 अप्रैल के दौरान गांधीजी ने दांडी यात्रा के द्वारा देेश को जगाया था। नमक सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन के द्वारा साम्राज्यवादी शासकों को चुनौती दी थी। आज लाखों किसानों ने भी तीन कृषि कानूनों को वापस करवाने की जिद से अहिंसक सत्याग्रह आंदोलन जारी रखा है, जिसमें 300 से अधिक किसान शहीद हो गए हैं। शहीद किसान मोर्चे के बेनर तले आंदोलन में शामिल 550 किसान संगठनों को बांटने और बरगलाने की कोशिश की गई। चर्चा भी हुई, परन्तु सरकार की नियत खेती किसानी को खत्म कर कृषि क्षेत्र और किसानों की जमीन अडानी,अंबानी जैसे पूंजीपतियों को सौंपने की है इसलिए सरकार तीनों कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार नहीं है। तालाबंदी के दौरान 15 करोड़ लोग बेेरोजगार हुए उन्होंने कहा कि तालाबंदी के दौरान पूरे देश की अर्थव्यवस्था 30 प्रतिशत गिर गई तथा 15 करोड़ नागरिक बेरोजगार हो गए, ऐसे में अडानी,अंबानी ने 3 लाख करोड़ का मुआवजा कमाया। इतना ही नहीं सरकार न पेट्रोलियम पदार्थों में भाव वृद्धि कर 2 लाख करोड़ से अधिक रुपये की कमाई की। 2014 में गैस सिलेण्डर 500 रुपये था वह बढ़कर 850 रुपये तक हो गया है, लेकिन सरकार इसे रोकने में असफल है। हम निजीकरण नहीं होने देंगे उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को देश के 54 करोड़ श्रमिकों का समर्थन मिल रहा है। देश में पहली बार किसान मजदूर मिलकर पूरे देश में किसान व मजदूरी विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन चल रहा है। हमारा संकल्प है कि हम 5-6 अप्रैल को दिल्ली में निर्माण किए जाने वाले शहीद स्मारकों हेतु अपने गांव से मिट्टी लाकर अधिक से अधिक किसान मजदूर सत्याग्रह यात्रा में शामिल हो। हम निजीकरण नहीं होने देंगे, किसान विरोधी कानूनों को बंद कराकर ही दम लेंगे। देश नक्सलवाद की ओर नहीं बढ़ रहा उन्होंने इस बात से इंकार किया कि देश नक्सलवाद की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि देश में शांतिपूर्ण तरीके से हल निकलेगा। उन्होंने इस बात को भी अस्वीकार किया कि प्रतिपक्ष दलों के सदस्य संसद व विधानसभा में इस्तीफा देते हैं तो सरकार पर दबाव बनेगा। इससे तो सरकार और स्वतंत्र हो जाएगी और मनमाने निर्णय लेगी। अभी संसद और विधानसभा में विरोध स्वरुप चर्चा तो हो रही है। मीडिया बचाओं आंदोलन चलेे मेघा पाटकर ने मीडिया जगत में कार्पोरेट घरानों के घुसपैठ पर चिंता जताई और कहा कि हमारे आंदोलन में हम मीडियाकर्मियों के हितों को भी शामिल करेंगे, ताकि पत्रकारों की निर्भिक कलम देश हित में चलते रहेे, मीडिया बचाओं आंदोलन हमारे आंदोलन केे उद्देश्यों में शामिल होगा। राजस्थान के लिए रवाना हुए मेघा पाटकर नर्मदा घाटी आंदोलन के साथियों को लेकर मंंगलवार रात करमदी पहुंची, जहां रात्रि विश्राम के बाद बुधवार सुबह रतलाम में पत्रकारों से बातचीत की, तत्पश्चात वे किसानों से चर्चा के लिए रिंगनोद गई, जहां से मंदसौर-नीमच होते हुए डुंगरपुर राजस्थान के लिए रवाना हो गई। उनके साथ किसान नेता डीपी धाकड़ तथा राजेश पुरोहित, समरथ पाटीदार, नवीन मिश्रा, कैलाश यादव, महेन्द्र तोमर सहित सदस्य थे। हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी

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