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मालवा नस्ल की गायों के एक मात्र प्रजनन केंद्र पर मंडराया खतरा

-- प्रजनन केंद्र के नजदीक 100 बीघा जमीन खनन के लिए देने की तैयारी.. आगर मालवा, 26 फरवरी (हि.स.)। मध्यप्रदेश के आगर मालवा में एक मात्र प्रजनन केंद्र है, जहां देसी नस्ल की गायों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। मगर कुछ दिनों से इस केंद्र को आने वाले खतरे की चिंता सता रही है। प्रजनन केंद्र के समीप खनन के लिए जमीन देने की सुगबुगाहट ने चिंता की लकीरें खड़ी कर दी है। जानकारी के अनुसार पूरे क्षेत्र के एक मात्र प्रजनन केंद्र में मालवा नस्ल की देसी गायों को बचाने की कवायद कई वर्षों से चल रही है। ये प्रजनन केंद्र आगर मालवा की शान मोतिसागर तालाब के बिल्कुल नजदीक बना हुआ है। यहाँ प्रजनन के लिए देसी नस्ल के बेलों को भी तैयार किया जाता है, ताकि यह नस्ल आने वाले समय मे लुप्त ना हो जाय। यहां जितनी भी गायें है उनके सबके अपने अपने नाम है, सभी गायों को अपने नामो से पहचाना जाता है। हर गाय के बंधे होने के स्थान के सामने उसका नाम लिखा होता है। इस प्रजनन केंद्र के ठीक पास ही थोड़ी बहुत नही, बल्कि 100 बीघा करीब जमीन को लगभग 40 फिट गहराई तक खोदने की कवायद चल रही है। नीमच की एक कंपनी को यहां खनन के लिए स्वीकृति दी जाना प्रस्तावित है। ऐसे में क्या इस प्रजनन केंद्र पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा, क्या ये गायें ओर बछड़े वहां की आवाजों से प्रभावित नहीं होंगे, क्या वहाँ से उड़ने वाली धूल मिट्टी का इनपर कोई प्रभाव नही होगा। अगर यहां खनन शुरू हो जाता है तो वर्षों से प्रशासन द्वारा देसी नस्ल की गायों को बचाने के प्रयासों पर पानी फिर जाएगा। शासन की मानें तो इस नस्ल का प्रजनन क्षेत्र केवल यही है। मां का नाम पुकारते ही दौड़कर आ जाते हैं बछड़े यहां काम करने वाले कर्मचारी बछड़ो के पास पहुचते हैं। वहां पहुंचकर ये गायों के नाम से आवाज लगाते है, कर्मचारी जिस गाय का नाम पुकारता है उसका बछड़ा आता है और दौड़कर अपनी माँ के पास चला जाता है। ये बछड़े अपनी माँ का नाम भी जानते है और आवाज उन्हें ही लगाई जा रही है ये भी भलीभांति जानते है। गायों के इन बछड़ो को बारी -बारी से माओ के नाम से बुलाया जाता है और ये अपनी माँ के पास दौड़कर पहुंच जाते हैं। मगर लगता है अब इन गायों,बछड़ों और देसी नस्ल पर मुसीबत की खुदाई शुरू होने वाली है। हिन्दुस्थान समाचार/प्रमोद/राजू

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