The festival of Makar Sankranti was celebrated all over the district
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जिलेभर में मनाया गया मकर संक्रांति का पर्व, जगह-जगह लगे मेला

अमरकंटक में उमड़ा जन सैलाब,श्रद्धालुओं ने नर्मदा कुंड़ में लगाई आस्था की डुबकी अनूपपुर/अमरकंटक, 14 जनवरी (हि.स.)। वर्ष का प्रथम बड़ा पर्व गुरुवार को शुरू हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में मां नर्मदा में पूजा-आराधना कर आस्था की डुबकी लगाई। कोविड-19 का प्रभाव धीरे-धीरे अब खत्म हो रहा है इसका अनुमान अमरकंटक में आस्था के जनसैलाब को देखकर लगाया जा सकता है। कोरोना पर भारी आस्था और कड़ाके ठंड के बावजूद पवित्र स्नान और माता नर्मदा के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालुओं ने अमरकंटक पहुंचकर मकर संक्रांति का पर्व मनाया। सुबह से ही श्रद्धालुओं के साथ अमरकंटक दर्शन आने वाले पर्यटकों ने नर्मदा नदी-घाट पर पवित्र स्नान किया तथा हाथों में तिल-चावल लेकर सूर्यदेव को अध्र्य देकर अर्पण किया। इस मौके पर भिक्षुओं को तिल गुड का दान कर नर्मदा के दर्शन किए और परिजनों की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। स्नान के बाद पूजा अर्चना के लिए नर्मदा सहित समस्त 27 मंदिरों में दर्शन के लिए दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। वहीं नर्मदा मंदिर में पूजा पाठ के लिए लोगों की लम्बी कतार लगी रही। एसडीएम पुष्पराजगढ़ अभिषेक चौधरी ने बताया कि संक्रांति के मौके पर अमरकंटक में 20-50 हजार से अधिक लोगों ने स्नान किया तथा तिल और गुड का दान कर माता नर्मदा का पूजन अर्चन किया। इस दौरान लोगों ने कोरोना संक्रमण की चिंता किये बिना आस्था और विश्वास के साथ मां नर्मदा से इससे मुक्ति की प्रार्थना की। भीड़ लगातार जारी है। मृत्युंजय आश्रम अमरकंटक के महामंडलेश्वर हरिहरानंद महाराज ने बताया कि ग्रहों के अधिपति और आत्मा के कारक भगवान सूर्य धनु राशि की यात्रा समाप्त करके 14 जनवरी की दोपहर 1.48 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश किया। इसके मकर राशि प्रवेश करते ही देवताओं का दिन और पितरों की राशि का शुभारम्भ हो गया। मकर संक्रांति के दिन से उत्तरायण का प्रारम्भ होता है जो मकर संक्रांति की महत्ता को और बढ़ाता है। संक्रांति की महत्ता को बताते हुए महामंडलेश्वर हरिहरानंद महाराज ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन खरमास समाप्त होकर सभी शुभ मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति पर तीर्थ स्नान, पूजन, जप तप, आध्यात्मिक साधना और यज्ञ आदि का तो विशेष महत्व होता ही है पर इस दिन दिए गए दान का बड़ा महत्व बताया गया है, इसलिए इसे अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार खाद्य पदार्थ या वस्त्र आदि अवश्य दान करें। नर्मदा स्नान के बारे में उनका कहना है कि मां नर्मदा का महत्व माता नर्मदा केस्मरण मात्र से एक जन्म का पाप कट जाता है। नर्मदा के दर्शन मात्र से तीन जन्मों का पाप हनन होता है। और अगर प्राणी नर्मदा जल से स्नान कर लेता है तो उसके एक हजार जन्मों के पाप समन (खत्म, समाप्त) हो जाते हैं। अमरकंटक नगरपरिषद सूत्रों के अनुसार पर्यटक नदी घाटो पर पहुंच स्नान कर रहे हैं। वाहनों की भारी संख्या देखी जा रही है। गलनभरी ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं में अधिक उत्साह देखा जा रहा है। बाइक के साथ कार,जीप से अधिकांश भक्तगण स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। जबकि बसों में श्रद्धालुओं की भी अपार भीड़ बन रही है। सुरक्षा व्यवस्थाओं के लिए अमरकंटक ही 100 से अधिक जवानों को तैनात किया गया था। वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालय स्थित सोन-तिपान संगम पर सुबह से लेकर शाम तक स्नान के साथ दो दिनी मेले में मेला देखने वाले दर्शकों का तांता लगा रहा है। शुभ मुहूत्र्त पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। जबकि दोपहर के समय दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का जत्था मेला देखने उमड़ पड़ा। इसी तरह राजेन्द्रग्राम, कोतमा, जैतहरी, राजनगर, बिजुरी सहित अन्य क्षेत्रों से गुजरती नर्मदा, सोन, जुहिला, तिपान, केवई सहित अन्य नदियों के नदीघाटों पर लोगों ने स्नानकर इष्टदेवों की विशेष पूजा अर्चना की। मकरसंक्रात के अवसर पर जिले के अनेक स्थानों पर मेले का भी आयोजन किया गया है। कोतमा में बसखली, केवई बैरियल, जोगीटोला, धुरवासिन, पथरौड़ी सीतामढ़ी में मेले का आयोजन हुआ। मकरसंक्रांति पर कोतमा के आसपास मेले का आयोजन किया गया जिसमें बसखली, केवई, बेरियल, जोगीटोला(गोडारू नदी),धुरवासिन(लखनघाट),पथरौड़ी, सीतामणि में मेले का आयोजन किया गया। मेले में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर मंदिरों में पूजा अर्चना कर प्रसाद ग्रहण किया। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला-hindusthansamachar.in

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