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पृथ्वी पर फैली बुराइयों का अंत केवल प्रकृति एवं गौ संवर्धन से ही संभव

गुना, 04 फरवरी (हि.स.) । गोवर्धन का अर्थ है गौ संवर्धन। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत मात्र इसीलिए उठाया था कि पृथ्वी पर फैली बुराइयों का अंत केवल प्रकृति एवं गौ संवर्धन से ही हो सकता है। यह बात कथावाचक पंडित कमलकिशोर शास्त्री ने ननत्थूखेड़ी गणेश मंदिर पर चल रही श्रीमद भागवत कथा में गुरुवार को कही। उन्होंने बताया कि अगर हम बिना कर्म करे फल की प्राप्ति चाहेंगे तो वह कभी नहीं मिलेगा। कर्म तो हमें करना ही होगा। कथा व्यास ने बाल कृष्ण की अनेक बाल लीलाओं का वर्णन करने के पश्चात गोवर्धन पूजा एवं इन्द्र के मान मर्दन की दिव्य कथा विस्तार से सुनाई। जिसमें बताया कि इंद्र के कुपित होने पर श्रीकृष्ण ने गोवर्धन उठा लिया था। इसमें ब्रजवासियों ने भी अपना-अपना सहयोग दिया। श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए राक्षसों का अंत किया तथा ब्रजवासियों को पुरानी चली आ रही सामाजिक कुरीतियों को मिटाने एवं निष्काम कर्म के जरिए अपना जीवन सफल बनाने का उपदेश दिया। उन्होंने गाय माता की सेवा एवं महत्व को समझाते हुए बताया कि प्रत्येक हिन्दू परिवार में गाय की सेवा अवश्य होनी चाहिए। क्योंकि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। गाय का दूध अमृत के समान बताया। शास्त्री ने कहा कि कर्म परछाई की तरह मनुष्य के साथ रहते हैं। इसलिए श्रेष्ठ कर्मों की शीतल छाया में रहना चाहिए। श्रद्धा और विश्वास के रथ पर सवार रहोंगे तो तुम्हारा मन रूपी घोड़ा नियंत्रण में रहेगा। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक-hindusthansamachar.in

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