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दसवें पर तर्पण भी प्रतिबंधित,तो कैसे मिलेगा मृतकों को मोक्ष

27/04/2021 कोरोनाकाल में मरनेवालों के परिजनों की अंतिम क्रिया नहीं कर पा रहे परिजन उज्जैन,27 अप्रेल (हि.स.)। कोरोनकाल में जितने लोगों की समान्य या कोविड के चलते मौत हो रही है,उनके परिजनों पर दु:ख की दोहरी मार पड़ रही है। परिजनों के अनुसार प्रोटोकाल के चलते अंतिम संस्कार की समस्त क्रियाएं भी पूर्ण रूप से नहीं कर पा रहे हैं वहीं दसवें पर तर्पण के लिए रामघाट पर प्रतिबंध होने के कारण यह कार्य भी पूर्ण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में चिंता है कि मृत परिजनों को मोक्ष मिल पाएगा या नहीं ? वे जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जिसप्रकार शवयात्रा में 10 लोगों की अनुमति दी गई है,उसी प्रकार तर्पण के लिए रामघाट पर जाने हेतु एवं संस्कार करवाने हेतु दो लोगों एवं एक पण्डित की अनुमति दी जाए। पुराणों के अनुसार अवंतिका नगरी का चक्रतीर्थ ऐसा स्थल है,जहां पर शवदाह होने पर मोक्ष प्राप्ति हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार हर परिवार के लोगों की यह इच्छा रहती है कि मृत परिजन का अंतिम संस्कार विधि से हो वहीं दसवें पर रामघाट पर तर्पण भी विधि पूर्वक हो जाए,ताकि परिजन की आत्मा को मोक्ष मिल जाए। यही कारण है कि दसवें पर सारे कर्म काण्ड परिजनों द्वारा रामघाट पहुंचकर करवाए जाते हैं। दूर दूर से लोग अपने मृत परिजनों के दसवें के लिए यहां वर्षो से आते हैं। कोरोनाकाल में वर्तमान में जिला प्रशासन ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है। यह प्रतिबंध लोगों को मानसिक रूप से परेशान कर रहा है और लोग अंदर ही अंदर व्यवस्था के विरोधी होते जा रहे हैं। यह कहना है रामघाट पर कर्मकाण्ड करवानेवाले पण्डितों का * पं. लोटा गुरू ने कहा कि गरूड़ पुराण उठाकर देख लो। उसमें स्पष्ट लिखा है कि मृत परिजन का तर्पण आवश्यक है अन्यथा मोक्ष नहीं मिल सकता। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि वह आंशिक अनुमति दे ताकि कम से कम दो लोग घाट पर आकर कर्म काण्ड करवा सकें। * पं. राजेश गुरू मोरवाला ने कहा कि प्रशासन ने जिसप्रकार से शवयात्रा में अधिकतम 10 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी है,उसीप्रकार से कर्म काण्ड के लिए कम से कम दो लोगों की अनुमति दी जाना चाहिए। ताकि लोग अपने मृत परिजन को मोक्ष दिलवा सकें। पं. * उत्तम गुरू अंगुठीवाले ने कहाकि प्रशासन को अपने निर्णय पर विचार करना चाहिए। गत वर्ष भी इसप्रकार की अनुमति दी गई थी। एक ओर परिजन दु:खी हैं वहीं दूसरी ओर हमारे परिवार भी इसी पर निर्भर हैं। हमारे रोजगार को लेकर भी विचार करना चाहिए। *पं. मयूर दुबे घण्टालवाले ने कहाकि चोरी छिपे तो लोग इस काम को कर ही रहे हैं,नियमों को तोड़ रहे हैं। इससे अच्छा है कि विधिवत अनुमति दे दी जाए। बाहर से आनेवालों को भी अभी रोकना है तो शहरवालों को तो आने दिया जाए। हिंदुस्थान समाचार/ललित ज्वेल

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