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कोरोना काल में ड्यूटी कर रहे पुलिसवालों के भोजन के भुगतान में घोटाला, जांच के आदेश

मंदसौर 18 जून (हि.स.)। कोरोनाकाल में पुलिस जवानों के लिए बनाए टिफिन मेें गड़बड़ी का मामला सामने आया है। इसमें रोज 70 टिफिन बांटे गए और भुगतान के लिए 250 के हिसाब से बिल लगाया है। खुलासा आरआई द्वारा प्रस्तुत बिलों को एएसपी द्वारा रोकने व जांच से हुआ। मामले में संदेह के घेरे में आए आरआई ने एएसपी पर आरोप लगाकर खुद को सही होने का दावा किया है, हालांकि आरआई द्वारा जांच को प्रभावित करने का भी मामला प्रकाश में आया है। कोरोनाकाल के दौरान ड्यूटी पर तैनात जवानों व अधिकारियों के लिए पुलिस लाइन में भोजन बनाकर मौके पर टिफिन पहुंचाया गया। इनके भुगतान के लिए आरआई विजयकांत शुक्ला ने 250 टिफिन रोज के हिसाब से 44 दिन का 7 लाख 70 हजार रुपए का बिल लगाया। इसमें कमियां होने पर एएसपी डॉ. अमित वर्मा ने भुगतान रोककर जांच शुरू की। इसमें सामने आया कि रोज केवल 70 टिफिन बांटे हैं। इसके अलावा कोरोनाकाल में राजाराम ब्रदर्स द्वारा जरूरतमंद लोगों के लिए दान दिया अनाज का उपयोग भी इन्हीं टिफिन में किया है। इसके अलावा इन टिफिन के लिए आरआई शुक्ला ने पुलिस पेट्रोल पंप में बने वेलफेयर से 4 लाख रुपए का भुगतान प्राप्त किया है। वेलफेयर से रुपए लेने का आरआई को किसी प्रकार का अधिकार नहीं है। नियमानुसार आरआई दान में मिले अनाज का भी उपयोग नहीं कर सकते थे लेकिन उन्होंने टिफिन बनवाने में उपयोग किया। आरक्षकों पर दबाव बनाने की बात भी आई सामने एएसपी डॉ. वर्मा द्वारा बिल रोकने व जांच शुरू किए जाने के बाद आरआई ने जांच प्रभावित करने का प्रयास किया। इसके तहत उन्होंने लाइन में पदस्थ आरक्षक विनय तिवारी व प्रधान आरक्षक मोहनसिंह की मदद से लाइन में पदस्थ आरक्षकों पर टिफिन रजिस्टर में साइन करने व एएसपी द्वारा बयान लिए जाने पर टिफिन खाने की बात स्वीकार करने का दबाव भी बनाया। इसे लेकर एसपी कार्यालय में लगी शिकायतपेटी में नव आरक्षकों ने आरआई के खिलाफ 25 शिकायतें की हैं। आरोप - ड्यूटी लगवाने, रवानगी, वापसी, छुट्टी के लिए तय हैं रुपए लाइन में पदस्थ नव आरक्षकों ने वरिष्ठ अधिकारियों से आरआई की शिकायत की है। इसमें आरक्षकों ने बताया कि आरआई ने ड्यूटी लगवाने, रवानगी, वापसी, छुट्टी को कमाई का जरिया बना रखा है। इसमें छुट्टी के लिए ढाई हजार, ड्यूटी लगवाने के लिए पांच हजार, वापसी के चार हजार रुपए तय किए हैं। रुपए नहीं देने की स्थिति में जवानों को परेशान किया जाता है। आरआई से परेशान होकर 2 जून को एक आरक्षक लोकेश आर्य ने एसपी कार्यालय में कपड़े तक उतार दिए थे। इससे पूर्व राहुल नामक आरक्षक ने आरआई द्वारा मारपीट किए जाने की शिकायत एसपी कार्यालय में की थी। लाइन में पड़े जब्त वाहन और कबाड़ भी बेचने की शिकायत लाइन में पदस्थ आरक्षकों से मिली जानकारी के अनुसार आरआई ने लाइन में पड़े जब्त कंडम वाहन और लोहा कबाड़ में बेच दिया है। इसमें एक मृतक आरक्षक की राजदूत बाइक व आरओ प्लांट से 16 टन लोहा बेचने का मामला सामने आया है। एएसपी खुद को एसपी समझते हैं विजयकांत शुक्ला, आरआई, मंदसौर ने हिन्दुस्थान समाचार से चर्चा करते हुए बताया कि जब से एएसपी साहब यहां आए हैं उन्होंने मेरा एक भी बिल पास नहीं किया। इसका कारण यह है कि वे खुद को एसपी समझते हैं और मैं उनकी मंशा के अनुसार नहीं चलता। वे खुद तो क्राइम मीटिंग में 200 रुपए प्रति टिफिन का खाना खिलाते हैं। मैंने 44 दिन 70 रुपए टिफिन का खाना खिलाया तो जांच करने लगे। थानों के बिल हमेशा पास कर देते हैं। बिल पास नहीं होने पर जब लोग सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करेंगे तब उन्हें समझ में आएगा। जांच में सब स्पष्ट हो जाएगा डॉ. अमित वर्मा, एएसपी, मंदसौर ने हिन्दुस्थान समाचार से चर्चा करते हुए बताया कि आरआई ने जो बिल प्रस्तुत किए हैं उनमें कमियां थीं। मैंने उसे पूरा करने के लिए कहा था। कुछ प्रमाण हाथ लगने पर जांच शुरू की तो उसमें विसंगतियां मिली हैं। दान में मिले अनाज का उपयोग करने का अधिकार भी आरआई को नहीं था। यह भी उन्होंने किया है। जांच में सब क्लियर हो जाएगा। और भी शिकायतें मिली हैं। सभी की जांच चल रही है। हिन्दुस्थान समाचार / अशोक झलौया

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