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रेत ठेकेदार की मशीनें खदानों की सीमा लांघ निर्धारित क्षेत्र से बाहर कर रहीं खनन

छोटे नदी-नालों पर माफियाओं की नजर, अस्तित्व पर मंडराया खतरा अनूपपुर, 14 फरवरी (हि.स.)। जिले की 22 रेत खदानों में खनन की स्वीकृति के बाद रेत निकासी करने वाली कंपनियां नदी की सीना पर भारी मशीनों को चलाकर रेत का खनन करने में जुटी है। इसके लिए नदियों में मोटी चौड़ी बांध रूप में बेड (रास्ता) बनाकर रेत का खनन किया जा रहा है। इसमें जहां जलीय जीवन प्रभावित हो रहा है, वहीं रेत खनन कंपनी की मौजूदगी के बाद जिले में बहने वाली छोटी-छोटी नदी-नालों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। अवैध कारोबार से जुड़े रेत माफिया अब वनीय, राजस्व क्षेत्र में बहने वाली छोटी-छोटी नदिया और नालों पर अपनी नजरें जमा उसका खनन कर रहे हैं। इससे पर्यावरण को जहां नुकसान हो रहा है, वहीं शासकीय राजस्व की चोरी भी हो रही है। लेकिन इन सबमें रेत खनन करने वाली कंपनी द्वारा सबसे अधिक राजस्व की चोरी से इंकार नहीं किया जा सकता। नदियों से रेत खदान की आड़ में कंपनी द्वारा खदानों की सीमाओं को लांघकर निर्धारित सीमा से अधिक रेत का खनन कर रहे हैं। यही नहीं कुछ स्थानों पर बिना विभागीय प्रक्रियाओ को पूर्ण किए खनन भी आरम्भ कर दिया था। जिसपर विभाग में हुई शिकायत पर खनिज विभाग ने सीतापुर, मानपुर, और बकही रेत खदानों में कार्रवाई करते हुए सीमा से अधिक खनन करने का मामला दर्ज करते हुए 68 हजार घन मीटर रेत खनन में 36 करोड़ से अधिक का जुर्माना अपेक्षित किया है। खनिज विभाग का कहना है कि नदियों में सीमा रेखा खींचना असम्भव है, लेकिन कंपनी को इस बात की जानकारी दी जाती है कि कहां से लेकर कहां तक खनन किया जाना है। खनन में नदियों की धारा को प्रभावित किए बिना निर्धारित मात्रा में भी खनन किया जाना है। लेकिन विभागीय निर्देशों की अनदेखी करते हुए कंपनी कर्मी रेत का खनन आंखें मूंदकर कर रहे हैं। जानकारों का मानना है कि जिला मुख्यालय की सोन, तिपान, चंदास, केवई, गोडारू, अलान सहित अन्य नदियों से रेत अवैध तरीके से निकाले जा रहे हैं। इनमें विभागीय परिमाप किया जाए तो रेत के अवैध उत्खनन के दर्जनों प्रकरण सामने आ सकते हैं। जैतहरी की तिपान नदी के बलबहरा, सिवनी, गोबरी घाट, बघहा, कछरा, राजेन्द्रग्राम पहुंच मार्ग के घाटों से देर रात्रि व सुबह के समय ट्रेक्टर ट्राली व हाइवा वाहनों से रेत का परिवहन किया जा रहा है। वहीं रात के अंधेरे में इन रेतों के उत्खनन में जेसीबी मशीन का भी उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा चोलना, छातापटपर, रोहिला कछार, महुदा से भी अवैध रेत का उत्खनन किया जा रहा है। जबकि भालूमाड़ा क्षेत्र की केवई नदी में पसान रेत खदान, सोननदी के पोंडीघाट,चोलना, गोडारू नदी में दैखल, हरद, बदरा पुल क्षेत्र हैं। कोतमा के केवईनदी में जमड़ी घाट, चेंगरीघाट, जोगीटोला, बेलियाघाट, पिपरियानाला, बरनी नदी में निगवानी, खोडरी, उरतान जैसे क्षेत्रों में रेत का अवैध कारोबार संचालित है। इससे इन नदी-नालों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। इस संबंध में जिला खनिज अधिकारी पीपी राय का कहना है कि जिले में रेत खनन करने वाली कंपनी ने सीमा से आगे जाकर खुदाई करने पर कार्यवाई की जा रहीं हैं। नालों से रेत निकासी पर कार्यवाही की जाती है। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला-hindusthansamachar.in

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