sahara-akanksha-made-by-maiden-wrote-new-story-of-self-reliance
sahara-akanksha-made-by-maiden-wrote-new-story-of-self-reliance

मायके का बनी सहारा आकांक्षा, लिखी आत्मनिर्भरता की नई कहानी

अनूपपुर, 07 मार्च (हि.स.)। इन्सान ठान ले तो क्या नहीं कर सकता। एक बेटी ने आड़े वक्त में अपने मायकेवालों का सहारा बनकर साबित कर दिया है कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं होतीं। मायके की आर्थिक स्थिति मजबूत करने वाली नवयुवती आकांक्षा जैन ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की मदद और अपने मेहनतकश हाथों और पक्के इरादे से केवल कुछ माहों के भीतर ही आत्मनिर्भरता का नया इतिहास रचकर न केवल अपने जीवन की तस्वीर बदल ली, बल्कि मायके की आजीविका का सहारा बनी एक छोटी सी दुकान को बड़ी दुकान के कारोबार में तब्दील कर दिया। अनूपपुर जिले के धार्मिक नगरी अमरकंटक की आकांक्षा जैन ने बताया कि मायके में एक छोटी सी दुकान थी, जिससे परिवार की माली हालत को सुधारना कठिन था। इसके लिए पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की उक्त योजना से २ लाख रुपये के अनुदान समेत कुल ७ लाख रुपये की ऋण राशि से गिफ्ट सेंटर का व्यवसाय स्थापित किया और इससे हुई कमाई से परिवार की आर्थिक स्थिति संवार ली है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से लिए ऋण की किस्तें भी नियमित रूप से जमा कर रही हैं।गिफ्ट सेंटर का व्यवसाय आकांक्षा के लिए आजीविका का आकर्षक साधन बन गया है। आकांक्षा को सपने में भी इस बात की कल्पना नहीं थी कि सात लाख रुपये से आरंभ गिफ्ट सेंटर का व्यवसाय उनके यहां समृद्धि ला देगा। इस कारोबार से उन्हें अच्छी कमाई होने लगी। आज वह स्वयं अपने गिफ्ट सेंटर में दो लोगों को रोजगार दे रही हैं। आकांक्षा बताती हैं कि कारोबार इतना बढ़ गया है कि उनके परिवार को भी उनके काम में हाथ बंटाना पड़ता है। पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की सहायक संचालक मंजुला सेन्द्रे कहती हैं, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना जैसी कई रोजगारमूलक योजनाओं ने वाकई कई बेरोजगारों की किस्मत बदल दी है। योजनाओं ने शहरी क्षेत्र एवं ग्रामीण इलाकों के लोगों की रोजी-रोटी का इंतजाम कर दिया है। योजनाओं ने महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना दिया है। कारोबार से खुश आकांक्षा जैन कहती हैं, आजकल नौकरी मिलना कठिन है। किसी की नौकरी करने की बजाय अपना धंधा शुरु करने से हम स्वयं मालिक हो गए हैं। उनकी दुकान उनके परिवार के लिए लाभदायक बनी हुई है। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in