अनूपपुर, 23 फरवरी (हि.स.)। कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते जब सब कामधंधे बंद हो गए थे, अपनी सूझबूझ से अपने परिवार की आजीविका के लिए कोतमा जनपदीय अंचल की रहने वाली रूपा पाव ने मास्क बनाकर आर्थिक रूप से मजबूती हासिल की। हालांकि इससे पहले कृषि मजूदर पति के साथ मिलकर अपने गांव के आसपास के गांवों में लगने वाले हाट-बाजार में वह सिलाई का कार्य कर परिवार की आजीविका चलाया करती थी। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान सिलाई के लिए कपड़ा आना बंद हो गया। गांव की दीदियां उनके यहां कपड़ा लेकर आती थीं लेकिन पिछले साल लॉकडाउन के कारण उनका भी आना-जाना बंद हो गया। सिलाई कार्य बंद हो जाने से रूपा की आमदनी घट गई और घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया। जो कुछ कमाया था, वह भी महीने भर के अन्दर घर के खर्च में चला गया। लॉकडाउन की वजह से गांव से बाहर निकलना नहीं हो पाता था, जिसके कारण रूपा का सिलाई का व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया। इसी बीच कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क निर्माण का कार्य शुरू हो गया। रूपा ने मास्क निर्माण से कमाई करने की ठानी और वह आजीविका मिशन द्वारा गठित स्वसहायता समूह से जुड़ गईं। म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा रूपा को मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना की वित्तीय मदद से मास्क निर्माण का कार्य मिल गया। रूपा ने 7500 मास्कों का निर्माण कर कमाई की जिससे एक सेकण्ड हैण्ड स्कूटी खरीदी, और पति को साइकिल मरम्मत दुकान भी खुलवा दी। इससे उनके परिवार की आमदनी कई गुना बढ़ गई। रूपा अपने पुराने दिन याद कर बताती हैं कि उन्हें अपने कार्य के सिलसिले में आसपास के गांवों में आने जाने में कठिनाई होती थी। उनके पास साइकिल तक नहीं थी, जिस कारण आने जाने में कठिनाई होती थी। अब स्कूटी आ जाने से आसपास के गांवों में जाने में सहुलियत हो गई है। वह कहती हैं, "कभी मेरी हैसियत साइकिल तक पर चलने की नहीं थी, परन्तु आज मैं स्कूटी पर चल रही हूं। सिलाई कार्य से प्रतिदिन 300 से 350 रुपये की आमदनी हो जाती है।" हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला