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असमय बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों के खेतों की मेढ़ तक नहीं पहुंचा राजस्व अमला

क्षतिग्रस्त मकानों का भी नहीं हुआ सर्वेक्षण अनूपपुर, 11 जून (हि.स.)। जिले में असमय बारिश और ओलावृष्टि से सैकड़ों किसानों की फसल व मकानों को नुकसान हुए माहभर से अधिक हो गया, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों व उनके अमलों ने खेतों की मेड़ पर पैर ही नहीं रखा है। वहीं क्षतिग्रस्त हुए मकानों का मौका सर्वेक्षण भी नहीं किया गया। जिसके कारण जिले असामयिक बारिश और ओलावृष्टि के दौरान कितने किसानों की फसल बर्बाद हुई और कितने परिवारों के घर उजड़े की जानकारी एकत्रित नहीं हो पाई है। प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता में जिले के चारो विकासखंड अनूपपुर, जैतहरी, कोतमा और पुष्पराजगढ़ में असामायिक बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसान और गरीब परिवार शासकीय सहायता से वंचित हैं। ज्ञात हो कि 7 मई को अनूपपुर और जैतहरी विकासखंड के कई दर्जन गांवों में बारिश और ओलावृष्टि ने कहर करपाते हुए मकानों व नगदी फसलों को नुकसान पहुंचाया था। जबकि एक सप्ताह के बाद 13 मई को कोतमा विकासखंड में आंधी और बारिश ने तबाही मचाई थी। जबकि पुष्पराजगढ़ विकासखंड में बारिश और आकाशीय बिजली की चपेट में मवेशियों की मौत के साथ खेतों में लगी टमाटर, गेहूं, सहित अन्य नगदी फसलों को नुकसान पहुंचाया था। जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री सहित प्रदेश खाद्य मंत्री ने अनूपपुर जिला प्रशासन से असामायिक वर्षा और ओलावृृष्टि से हुई फसल एवं जनधन हानि का तत्काल सर्वेक्षण कराते हुए मुआवजा प्रदाय करने की अग्रिम कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसमें तत्कालीन कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने जिले के चारों विकासखंड के एसडीएम और राजस्व अमलों को निर्देशित करते हुए सर्वेक्षण कार्य जल्द पूरा करवाते हुए नुकसान की जानकारी उपलब्ध कराने और नुकसान मुआवजा की प्रक्रियाओं को पूरा करने निर्देशित किया था। लेकिन प्राकृतिक आपदा के गुजरे माहभर से अधिक का समय बाद भी नुकसान के वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आए हैं। वास्तविक सर्वेक्षण, प्रारम्भिक रिपोर्ट तक अटका मामला नुकसान का आंकलन तहसील स्तर पर सर्वेक्षण द्वारा किया जाना है। पिछले एक माह के दौरान राजस्व अधिकारियों में कोतमा से मात्र प्रारम्भिक नुकसान के आंकड़े की जानकारी भेजी गई है। लेकिन इसके अलावा तीन अन्य विकासखंडों अनूपपुर, जैतहरी, और पुष्पराजगढ़ की प्रारम्भिक जानकारी भी शून्य भेजी गई थी। लेकिन इसके बाद चारों विकासखंड से अंतिम नुकसान रिपोर्ट अबतक नहीं भेजी गई है। कोतमा में हुए प्रारम्भिक अनुमान के नुकसान में 16 गांव और 121 किसानों को प्रभावित बताया गया है। यहां कितने हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई या कौन सी फसल को नुकसान हुए कोई जानकारी नहीं है। जबकि 25 प्रतिशत मकान को 60 प्रतिशत से अधिक क्षति और 96 मकानों को आंशिक 25-30 फीसदी तक क्षतिग्रस्त बताया है। साथ ही रिपोर्ट में सर्वेक्षण कार्य जारी लिखे गए हैं। इन बिन्दुओं पर किया जाना था सर्वेक्षण राहत आयुक्त भोपाल द्वारा बारिश और ओलावृष्टि में मुख्य 6 बिन्दूओं पर जानकारी मांगी गई थी। जिसमें तहसील, प्रभावित ग्राम संख्या, प्रभावित क्षेत्रफल हेक्टेयर में, प्रभावित किसानों की संख्या, अनुमानित नक्शा का प्रतिशत, पशुहानि, मकान हानि सहित रिमार्क है। लेकिन इनमें कोतमा विकासखंड को छोडक़र अन्य विकासखंडों ने आरम्भिक नुकसान जानकारी में निरंक भर दी। अधिकारियों ने सर्वेक्षण में माना था अधिक नुकसान प्राकृतिक आपदा के रूप में हुई असामायिक बारिश और ओलावृष्टि में प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने प्रारम्भिक जांच में गांवों की खेतों का मुआयना कर फसलों को अधिक नुकसान होना स्वीकारा था। जबकि कोतमा के प्रारम्भिक रिपोर्ट में नुकसान के आंकड़े सामने आए। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन ने सर्वेक्षण का कार्य पूरा नहीं कराया और ना ही शासन को नुकसान के आंकड़े सौंपें। अपर कलेक्टर सरोधन सिंह ने बताया कि मेरे पास 279 गांवों के प्रभावित होने की जानकारी आई थी, इसके अलावा अन्य नुकसान भी था। लेकिन कितनी राशि स्वीकृत हुई है, इसकी जानकारी नहीं। अधिकारियों को पूरी जानकारी कार्यालय में भेजनी थी। इसके लिए निर्देशित करता हूं। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला

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