प्रधानमंत्री आवास योजना: 3 करोड़ खर्च फिर भी गरीबों को नहीं मिल सके आशियाने
प्रधानमंत्री आवास योजना: 3 करोड़ खर्च फिर भी गरीबों को नहीं मिल सके आशियाने

प्रधानमंत्री आवास योजना: 3 करोड़ खर्च फिर भी गरीबों को नहीं मिल सके आशियाने

अशोकनगर, 12 जुलाई (हि.स.)। जिले के बहादुरपुर कस्बे की आबादी करीब 5000 है। यहां प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत सितंबर 2016 से अब तक 182 आवास बनाए जा चुके हैं, जबकि हाल ही के चरण में आवंटित हुए 23 आवास निर्माणाधीन है। चार किश्तों में आवंटित होने वाली एक लाख बीस हजार रुपए प्रति आवास की राशि के हिसाब से 2 करोड़ 46 लाख रुपए एवं मनरेगा के जरिए 32 लाख 28 हजार 750 रुपए और शौचालय प्रोत्साहन राशि को मिलाकर करीब 3 करोड़ की राशि सिर्फ कस्बे में खर्च की गई है। इसके बावजूद ग्राम पंचायत द्वारा पात्र व अपात्रों के बीच सही ढंग का चयन न होने से अब भी बड़ी संख्या में ऐसे गरीब हैं जो कच्चे मकानों में जिंदगी मुश्किल से गुजर-बसर करने मजबूर हैं। पंचायत द्वारा इन्हे आवास न मिलने की वजह 2011 में तैयार की गई सर्वे सूची में नाम न होना बताया जाता है जबकि हकीकत में कई ऐसे नाम भी पात्र सूची में शामिल हैं। जिन्हे अपात्र होने के बाद भी लाभ दिया गया हैै। स्वंय के विवेक के आधार पर एवं 13 खानों की जानकारी सही ढंग से उपलब्ध न कराने के कारण करोड़ों खर्च होने के बाद भी असली पात्र हितग्राहियों तक इस योजना का लाभ नहीं पहुंचा है। 1. रतिबाई वंषकार: 70 वर्षीय रतिबाई के पति रामसिंह वंषकार की मौत करीब 7 वर्ष पहले हो चुकी है। वह सरकारी योजनाओं की मुनादी पीटते थे। रतिबाई अपने एकमात्र पुत्र चिंटू के साथ मिट्टी के मकान में गुजारा कर रही हैं। चिंटू की तीन संतानें हैं। पांच सदस्यीय इस परिवार के पास एकमात्र कच्चा मकान है। जिस पर बरसात से बचने तिरपाल चड़ा रखी है। मजबूरी का आलम यह है कि बरसात और सर्दी के मौसम में रतिबाई एक कमरे में बेटा-बहू के साथ नहीं सो पातीं सो रिश्तेदारों में समय व्यतीत करने चली जाती हैं। 2. प्रताप अहिरवार: पांच संतानों व पत्नि के साथ सात सदस्यीय परिवार का दिहाड़ी मजदूरी कर पेट पालने वाले प्रताप अहिरवार अपने पुश्तैनी कच्चे मकान में पिछले 40 वर्षों से रह रहे हैं। मिट्टी की दीवारें जगह-जगह से फट गई हैं। पिछले वर्ष बरसात में कच्चा मकान ढह गया था। प्रताप के कच्चे घर के पास ही एक तीन मंजिला आलीशान मकान है, जिसके मालिक को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल चुका है। उनका कहना है कि सरकार की यह व्यवस्थाएं उनकी दयनीय स्थिति को मुंह चिड़ाती हैं। 3. बब्लू वाल्मीकि: कस्बे की गलियों में साफ-सफाई कर आजीविका चलाने वाले बब्लू के परिवार में लकवाग्रस्त विधवा मां, पत्नि व तीन बच्चे हैं। बब्लू का परिवार बस्ती की बसाहट के साथ ही यहां निवासरत है। हर बरसात में कच्चे मकान की दीवारें जमींदोज हो जाती हैं। कई बार कागज जमा कराने के बाद भी आवास सूची में उसका नाम नहीं आया। बब्लू बताता है कि वाल्मीकि बस्ती में उसके भाई ओमप्रकाश के अलावा हरिओम, कमलेश, छुटकोबाई, विमलाबाई को भी आवास नहीं मिला हैै। इस बस्ती में अब तक कुल दो आवास आवंटित हुए हैं। सरकारी सिस्टम के इतर बच्चों व युवाओं की टोली ने की निराश्रित की मदद: मुंगावली के पास किसी गांव की निवासी गौराबाई अहिरवार के पति की कुछ वर्षों पहले मृत्यु हो गई थी। पति की मृत्यु के बाद उक्त महिला ने ससुराल से मिली दो बीघा जमीन बेच दी और काम-धंधे की तलाश में बहादुरपुर आ गई। उसने यहां एक व्यक्ति से 22 हजार रुपए में कुछ जमीन ले ली, जिस पर मकान बनाने का काम लगाकर और पास में ही किराए के मकान में अपने एकलौते बेटे के साथ रहने लगी। करीब एक वर्ष पहले महिला के इकलौते बेटे की भी मौत हो गई। इसके बाद रही-सही कसर लॉक डाउन ने पूरी कर दी। महिला ने जमीन बेचकर हासिल हुए पैसों से मकान की दीवारें तो खड़ी करवा लीं लेकिन छत लायक रकम नहीं जुटा पाई। ऐसे में बारिश से पहले उसने टीनशेड के लिए टीन की चादरें खरीद कर बांस-बल्ली के सहारे दीवारों पर रख लीं। किंतु 19 जून को आई आंधी-बारिश में यह टीन का छप्पर उड़ गया। महिला ने बताया कि उसके पास खाने के तक पैसे नहीं थे ऐसे में वह टीनशेड बेल्ड कराने में बिल्कुल असमर्थ हो गई। महिला की हालत देखकर पड़ोस में रहने वाले 16 वर्षीय असद, 12 वर्षीय रेहान को बालसुलभ दया आ गई। दोनों बच्चों ने पहले तो अपने स्तर पर महिला की मदद घर से रोटी-पानी से की फिर इस समस्या को दाऊद और शिशुपाल उर्फ गोटू के सामने रखा। इन चारों ने मिलकर कुछ पैसे इक_े किये और खुद दो दिनों तक मजदूरों जैसे मेहनत करने के बाद आखिरकार टीनशेड को मजबूती से बेल्ड करवा दिया। इनका कहना: ‘2011 की सर्वे सूचि के हिसाब से आवंटन हुआ है। यदि अपात्रों को लाभ मिला है, तो शिकायत मिलने पर उसकी जांच कराएंगे। जिन्हे आवास नहीं मिल सका है, उन्हे आवास प्लस की सूची का बजट आवंटित होने के बाद अवश्य मिल जाएगा।’ जितेन्द्र जैन, मुख्यकार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत मुंगावली हिन्दुस्थान समाचार/ आदित्य/ देवेन्द/राजू-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in