अध्ययन के बिना जीवन अधूरा: प्रभात झा
अध्ययन के बिना जीवन अधूरा: प्रभात झा

अध्ययन के बिना जीवन अधूरा: प्रभात झा

स्वाध्याय मण्डल में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का संबोधन भोपाल, 26 जुलाई (हि.स.)। अर्थपूर्ण जीवन वही है, जो जीवन और समाज का अध्ययन करता है। अध्ययन अनंत है। हमारा अंत हो सकता है लेकिन अध्ययन का अंत कभी नहीं हो सकता। अध्ययन केवल किताबी नहीं, बल्कि व्यवहारिक होना चाहिए। अध्ययन बिना जीवन अधूरा होता है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने रविवार को स्वाध्याय मण्डल में ‘‘अध्ययन बिना जीवन अधूरा’’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कही। उनके इस व्याख्यान को फेसबुक पर लाइव किया गया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष झा ने कहा कि आज का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है। 3 मई 1999 को पाकिस्तान में थोड़ी सी हरकत की। भारत की सेना ने 60 दिनों तक लगातार पाकिस्तान के छक्के छुड़ाए थे और 21 वर्ष पहले आज के ही दिन 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तान को मात देकर भारत ने तिरंगा फहराया था। इसमें हमारे 527 जवान शहीद हुए और 1300 जवान घायल हुए थे। उन सभी शहीदों के चरणों में स्वाध्याय मंडल और अपनी ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। झा ने प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की चर्चा करते हुए हरियाणा की बेटी से बातचीत का जिक्र किया व कहा कि उस बेटी ने बेझिझक यह स्वीकार किया है कि उसे मां के व्यक्तित्व से प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि कोरोना के संकट में स्वाध्याय मंडल द्वारा अनेक लोगों को जोड़ा गया है। संगठन के द्वारा दिया गया प्रत्येक कार्य महत्वपूर्ण होता है, कोई भी काम छोटा नहीं होता। जीवन में कोई भी कार्य छोटा नहीं होता, लेकिन समझना होगा कि जीवन क्या है, जीवन सुख दुख का मिश्रण है और आध्यात्मिक प्रसाद है। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने जीवन को अपना मानता है, लेकिन जीवन समाज का होता है। इस भाव से काम करने पर ईश्वर का अंश हममें जगा रहता है। उन्होंने कहा कि जीवन का पथ स्पष्ट होना चाहिए और ईश्वर का दिया जीवन समाज के काम आना चाहिए। झा ने कहा कि किताबों के रखने से कोई विद्वान नहीं होता, उनके अध्ययन से विद्वान होता है। जीवन का हर पल, हर क्षण अध्ययन ही है, जिससे व्यक्ति गौरवशाली दिशा की ओर जाता है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री से लेकर बूथ स्तर के कार्यकर्ता तक सभी समाज को जोड़ने के लिए सतत अध्ययन करते हैं। झा ने कहा कि बुझे दीये से दूसरे दीये नहीं जलते, उसके लिए जीवंत दीया ही चाहिए। इसलिए समग्र अध्ययन करें व समाज को जागृत रखने हेतु सतत प्रयत्नशील रहें। हिन्दुस्थान समाचार/केशव-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in