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अफीम किसान खेतों में डोडा तोड़कर निकाल रहे पोस्तादाना

उंचे दामों के कारण पोस्तादाना फसल की आर्थिक मददगार है मंदसौर, 21 मार्च (हि.स.)। जिले की किसानों की महत्वाकांक्षी फसल से अफीम निकालने के बाद किसान खेतों से सूखे डोडे तोड़ने में लग गये है। अब डोडो को तोडने के बाद किसान इन डोडों के अंदर से पोस्ता दाना निकालेंगे। देश में पोस्तादाना की मांग 80 प्रतिशत पूर्ति मंदसौर, नीमच जिले के अफीम किसान करते है। इसी कारण पोस्तादाना कि किमत डेढ लाख रूपये प्रति क्विंटल के भाव तक पहुंच रहा है। इसी कारण किसान अफीम की फसल लेने के बाद डोडे को भी अपने खेत से लेकर जाकर घरों में सुरक्षित रखने का कार्य कर रहे हैं। वर्तमान में मौसम में भी किसान के लिए मददगार साबित हो रहा है। तेज धूप एवं शाम को ठंड भी अफीम किसान के लिए सकारात्मक सहयोग प्रदान करते है। यह मौसम अफीम उतपादन के लिए सहयोगी भी है। लगभग दो माह से किसान अफीम की फसल को बच्चे की तरह पालकर उसकी देखभाल कर रहे थे। यहां तक कि रातजगा करके अफीम की फसल की रखवाली किसानों द्वारा की गई। जिसके बाद पिछले माह से डोडों से अफीम निकालने का कार्य प्रारंभ हुआ था जो निरंतर चलता रहा। अब किसान अपने खेतों से डोडों को तोड़ने में लगे है। लालघाटी निवासी अफीम उत्पादक किसान परसराम गुर्जर लालघाटी ने हिस को बताया कि अफीम की फसल में से अफीम निकालने के बाद अब डोडे तोड़ने का काम शुरू कर लिया है। खेतों में से डोडा निकालकर घर पर इकट्ठे कर पोस्ता दाना निकालेंगे। उल्लेखनीय है कि पोस्तादाने के भाव मंडी में अत्यधिक होते है। अफीम की फसल घरों में रखी होने के कारण किसानों को लूटेरों का भी डर है। चोरी के कारण अनेक किसान घरों में रखी अफीम के कारण कही भी घर छोडकर नहीं जाते जब तक तौल प्रारंभ नहीं हो जाता तब तक के लिए अफीम की फसल चुनौतिपूर्ण है। अप्रैल माह में केन्द्रीय नारकोटिक्स विभाग किसानों से अफीम खरीदता है और कांट्रेक्ट के तहत जितने औसत में उसे पट्टा दिया गया उससे कम अफीम होने से उक्त किसान का पट्टा निरस्त कर दिया जाता है इसलिए किसान किसी भी कीमत पर पट्टा नहीं खोना चाहता है। हिन्दुस्थान समाचार/अशोक झलौया/राजू

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