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दस लाख बच्चे कटे होंठों की सर्जरी के इंतजार में : लाहौटी

शिवपुरी, 18 अप्रैल (हि.स.)। कटे हुए होंठ एवं तालू के साथ देश में दस लाख बच्चे इस समय सर्जरी की प्रतीक्षा में हैं। भारत में प्रति एक हजार से बारह सौ बच्चों के मध्य एक बालक इस तरह की शारीरिक न्यूनता के साथ जन्म लेता है। इन बालकों को इस समस्या से मुक्त किया जा सकता है लेकिन कतिपय अंधविश्वास एवं जागरुकता के अभाव में लोग सर्जरी के लिए आगे नहीं आते हैं। छ: हजार से ज्यादा सफल सर्जरी करने वाले ख्यातिनाम सर्जन डॉ कपिल लाहौटी ने चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 42वीं ई-संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह बात कही। संगोष्ठी को सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय भोपाल स्थित सीआरसी के नित्यानन्द समल ने भी संबोधित किया। डॉ लोहिया ने बताया कि प्रतिवर्ष भारत मे 35 से 45 हजार बच्चे इस शारीरिक न्यूनता के साथ पैदा होते हैं लेकिन अधिकांश मामलों में अभिभावकों के द्वारा ही पर्देदारी की जाती है क्योंकि वे इसे दैवीय इच्छा मानकर चलते हैं। डॉ लोहिया के अनुसार जन्म के तत्काल बाद ऐसे बच्चों की जानकारी सक्षम चिकित्सकों को साझा की जानी चाहिए। भारत में बड़ी समस्या यह है कि अभिभावक इस सतत सर्जरी प्रक्रियाओं का पालन नहीं करते है। इसके पीछे आर्थिक, सामाजिक कारण भी रहते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों की सर्जरी के समानांतर सतत काउंसलिंग भी एक बहुत बड़ा कार्य है क्योंकि शारीरिक न्यूनता बच्चों के बीच एक स्वाभाविक हीनता की स्थिति निर्मित करता है। सीआरसी भोपाल से जुड़े नित्यानन्द समल ने बताया कि 21 तरह की दिव्यांगता से लड़ने के लिए उनका मंत्रालय संकल्पबद्ध है। इसके लिए सर्जरी एवं कृत्रिम अंग निर्माण के काम को देशभर में व्यवस्थित किया गया है।देशभर में सत्रह सीआरसी के अलावा हर जिले में डीडीआरसी बनाएं गए हैं जहां फिजियोथेरेपी सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध है। चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि कटे होंठ या दिव्यांगता के मामलों में सर्जरी एवं पुनर्वास के काम में लगे विशेषज्ञ ईश्वरीय कार्य को पूर्ण करने वाले वंदनीय शख्स हैं। फाउंडेशन के सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे ने संगोष्ठी का संचालन करते हुए बताया कि डॉ लाहौटी हॉस्पिटल एन्ड रिसर्च सेंटर भोपाल में प्रदेश के 40 से अधिक जिलों के बच्चों की सर्जरी की जाती है। इस सेंटर पर यह सुविधा पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध है। यहां तक कि गरीब अभिभावकों को यहां तक आने एवं सर्जरी अवधि की मजदूरी चार सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अलग से दी जाती है। संगोष्ठी में मप्र, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़, आसाम, महाराष्ट्र, गोवा के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। फाउंडेशन की 43वी ई संगोष्ठी अगले रविवार को बालकों के ह्रदय रोग से जुड़े मुद्दे पर होगी। हिन्दुस्थान समाचार/ रंजीत गुप्ता

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