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मीडिया रिपोर्टिंग में खेल को समग्रता से देखने की आवश्यकता : पवन कुमार जैन

जीवन में अनुशासन लाता है खेल : प्रो. केजी सुरेश भोपाल, 28 जनवरी (हि.स.)। किसी भी खेल प्रेमी के लिए वह क्षण बड़ा ही गौरवपूर्ण होता है जब जन-गण-मन की धुन पर तिरंगा लहराता है। केंद्र सरकार की 'खेलो इंडिया अभियान' के बाद से भारतीय समाज में विभिन्न खेलों के प्रति लोकप्रियता बढ़ी है। भोपाल सहित देश के अलग-अलग राज्यों में खेलों के प्रति सकारात्मक माहौल बन रहा है। यह बात गुरूवार को खेल एवं युवा कल्याण विभाग के निदेशक पवन कुमार जैन ने कही। अवसर था, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में लेखक डॉ. आशीष द्विवेदी की पुस्तक 'खेल पत्रकारिता के आयाम' के विमोचन का। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पवन जैन ने खेल पत्रकारिता और उनकी चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्टिंग में खेल को समग्र दृष्टि से देखने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के बाद खेल हमारे समाज को नया मार्ग दिखा सकते हैं। उन्होंने मीडिया प्राध्यापक डॉ. आशीष द्विवेदी की पुस्तक 'खेल पत्रकारिता के आयाम' को सामाजिक मनोभाव को सकारात्मक मार्गदर्शन करने वाला शोधपूर्ण ग्रंथ बताया। यह एक ऐसी पुस्तक है जो ना सिर्फ खेलों के बारे में हमें बताती है, बल्कि यह पुस्तक हमें खेलों तक लेकर जाती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने बताया कि एक खेल प्रेमी ही बेहतर खेल प्रशासक या खेल पत्रकार हो सकता है। खेल के विविध आयामों को समाहित करते हुए यह पुस्तक प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी। उन्होंने कहा कि जीवन में खेल का बहुत महत्व है। प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी खेल से जुड़ना चाहिए। खेल जीवन में अनुशासन लाता है। पुस्तक की रचना के संदर्भ में लेखक डॉ. आशीष द्विवेदी ने कहा कि खेल पत्रकारिता के अध्यापन के दौरान ध्यान आया था कि इस विषय पर समग्रता से एक पुस्तक की आवश्यकता है। खेल पत्रकारिता में असीम संभावनाएं हैं। वरिष्ठ पत्रकार शिव कुमार विवेक ने पुस्तक के कंटेंट की चर्चा करते हुए कहा कि यह पुस्तक खेल पत्रकारिता के सभी आयाम को समेटती है। इसे खेल पत्रकारिता की एनसाइक्लोपीडिया कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब हिंदी समाचार पत्रों में भी खेल के लिए विशेष पन्ने निर्धारित होने लगे हैं, इससे यह परिलक्षित होता है कि खेलों के प्रति वातावरण बेहतर हुआ है। आज इंदौर जैसे शहरों से प्रकाशित समाचार पत्रों में खेल के दो पृष्ठों का प्रकाशन होता है। यह सकारात्मक परिवर्तन खेल के प्रति बढ़ी रुचि के कारण है। खेल पत्रकार एवं विशिष्ट अतिथि श्रुति तोमर भदौरिया ने बताया कि मध्यप्रदेश में खेल पत्रकारिता करते हुए उन्होंने अनुभव किया है कि यहां आर्थिक रूप से कमजोर और महिलाओं को खेल के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है। उन्होंने विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि खेलों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/राजू-hindusthansamachar.in

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