Like Shriram, our society chose the path of continuous struggle: Gothi
Like Shriram, our society chose the path of continuous struggle: Gothi

श्रीराम की भाँति हमारे समाज ने चुना निरंतर संघर्ष का पथः गोठी

रतलाम, 04 जनवरी (हि.स.)। हमारा समाज भगवान श्रीराम की पूजा करता है। उनकी बात जन जन में करता है, लेकिन आचरण और अनुसरण श्रीराम के अनुसार करता है क्या? अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सौभाग्य हमें इसलिए प्राप्त हुआ है, क्योंकि श्रीराम की भांति हमारे समाज ने निरंतर संघर्ष का पथ चुना और पलायन नहीं किया। अत: 500 वर्षों के संघर्षों के पश्चात हमारी पीढ़ी इन्हीं आँखों से श्रीराम का भव्य मंदिर का निर्माण होते देखेगी। यह बात श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अभियान समिति के तत्वावधान में सोमवार को आयोजित सामाजिक सदभावना बैठक में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक विजेंद्र गोठी ने कही। सभागार में उपस्थित सर्व समाज के जाति समाज प्रमुखों के समक्ष श्रीराम मंदिर निर्माण अभियान की योजना के समग्र स्वरूप की चर्चा करते हुए गोठी ने कहा कि यह केवल मंदिर निर्माण का अभियान नहीं अपितु मंदिर के साथ साथ जो चेतना प्रवाहित हो रही है, उससे राष्ट्र मंदिर का निर्माण करना है। जिससे भेदभाव रहित समरस समाज का निर्माण देश में हो सके। उद्बोधन के पश्चात बड़ी संख्या में उपस्थित समाज प्रमुखों ने भी चर्चा में भाग लेते हुए अपने सुझाव एवं प्रभावी विचार प्रस्तुत किये। इस अवसर पर आगामी योजना की जानकारी अभियान के नगर सह संयोजक सुरेंद्र सिंह भामरा ने प्रदान की। सद्भावना बैठक की भूमिका रखते हुए संचालन डॉ रत्नदीप निगम ने किया। महाराष्ट्र समाज भवन में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण अभियान समिति द्वारा आयोजित इस समाज प्रमुखों की बैठक में समग्र हिन्दू समाज के विभिन्न जाति समूहों में वाल्मीकि, रविदास समाज, जांगिड़ पोरवाल, माहेश्वरी, सिख, अग्रवाल, सूर्यवंशी, कोली, क्षत्रिय, राजपूत, जांगिड़ ब्राम्हण, टाँक समाज, सिंधी, दर्जी, जायसवाल, गुर्जर गौड़ ब्राम्हण, त्रिस्तुतिक जैन, खटिक, जाट, महाराष्ट्रियन, माली, भावसार, सेन, स्वर्णकार समाज के प्रमुख, नवयुवक मंडल, महिला मंडल के पदाधिकारी सहित सभी समाजों के प्रतिष्ठित जनों ने उपस्थित होकर अपनी सहभागिता प्रदान की। यह जानकारी नगर प्रचार प्रमुख पंकज भाटी ने दी। हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in