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नए पार्क बनाने पर लाखों रुपए खर्च, पुराने पार्कों के जीर्णोंद्वार पर ध्यान नहीं

नए पार्क बनाने पर लाखों रुपए खर्च, पुराने पार्कों के जीर्णोंद्वार पर ध्यान नहीं गुना 11 फरवरी (हि.स.) । जनता से विभिन्न टैक्स के जरिए अर्जित की गई राशि का किस तरह दुरुपयोग किया जा रहा है, यह देखने के लिए ग्रामीण अंचल में जाने की जरूरत नहीं है। ऐसे उदाहरण जिला मुख्यालय पर ही मौजूद हैं। शहर में नगर पालिका द्वारा करीब आधा सैकड़ा पार्कों का निर्माण कराया गया है। लेकिन इनमें से कुछ ही पार्क ऐसे हैं जो पूरी तरह से विकसित हैं तथा उनका लाभ कॉलोनीवासियों को मिल रहा है। इनके अलावा अधिकांश पार्क सिर्फ नाम के ही हैं। किसी पार्क को सिर्फ बाउंड्री वॉल बनाकर अधूरा छोड़ दिया गया तो किसी में पौधरोपण ही नहीं किया गया। आधे अधूरे पड़े पार्क रिहायशी इलाकों में असामाजिक तत्वों के लिए मुफीद बने हुए हैं। जो कॉलोनीवासियों के लिए एक बड़ी परेशानी का कारण भी बनने लगे हैं। कुल मिलाकर नगर पालिका का ध्यान पुराने व अधूरे पार्कों को विकसित करने की वजाए नए पार्क निर्माण पर राशि खर्च करने पर है। जानकारी के मुताबिक नगर में कुल 37 वार्ड हैं। शायद ही ऐसा ही कोई वार्ड शेष हो जहां नगर पालिका ने पार्क न बनाया हो या फिर उसके लिए जमीन आरक्षित न की हो। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग कार्यालय की गाइडलाइन के अनुसार भी कॉलोनाइजर को कॉलोनी काटते समय पार्क के लिए जमीन छोड़ना अनिवार्य है। वहीं रिहायशी इलाके में कॉलोनीवासियों की सुविधा के लिए भी पार्क होना जरूरी है। लेकिन नगर पालिका पार्क बनाने की सिर्फ औपचारिकता पूरी कर रही है। यही कारण है कि ज्यादातर वार्डों में कहने को पार्क तो हैं लेकिन इनमें पेड़ पौधों के अलावा जरूरी सुविधाएं नहीं हैं। ऐसे में यह पार्क बदहाल अवस्था में पड़े हुए हैं। इनका उपयोग असमाजिक तत्व गलत गतिविधियों में कर रहे हैं। जिसका खामियाजा आसपास रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है। पार्क निर्माण पर डेढ़ से तीन लाख रुपए तक खर्च नगर के लगभग सभी वार्ड में पार्क हैं। जो क्षेत्रफल की दृष्टि से अलग-अलग हैं। इनके निर्माण पर डेढ़ से तीन लाख रुपए तक खर्च किए गए हैं। लेकिन कई पार्क आज भी अधूरे पड़े हैं। कुछ तो ऐसे हैं जिनके चारों तरफ बाउंड्री वॉल तक नहीं है। जबकि इन पार्कों पर पूरा बजट खर्च किया जाना कागजों में दर्शा दिया गया है। कई कालोनी में पार्क की जमीन पर कब्जे हो गए शहर में कई कालोनी ऐसी भी हैं जहां कालोनी काटते समय कालोनाइजर ने पार्क के लिए जमीन आरक्षित की थी। लेकिन वहां समय के साथ पार्क विकसित नहीं किया गया। यही कारण रहा कि उक्त जमीन को कागजों में खुर्दबुर्द कर दिया गया। जब पार्क की जमीन पर अन्य व्यक्ति मकान बनाने आया तो आसपास रहने वाले कालोनीवासियों ने आपत्ति दर्ज कराई। यही नहीं प्रशासनिक अधिकारियों से भी लिखित में शिकायत की। लेकिन यह मामले अभी तक प्रशासन के ठंडे बस्ते में डले हुए हैं। न तो यह फैसला हुआ कि उक्त जमीन का असली मालिक कौन है और न ही पार्क निर्माण शुरू हो सका। कुल मिलाकर विवादों के चलते पार्क निर्माण अधर में है। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक-hindusthansamachar.in

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