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वैक्सीनेशन के मामले में केंद्र और प्रदेश सरकार दोनों फेल साबित? : पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

भोपाल, 26 मई (हि.स.)। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वैक्सिनेशन कार्यक्रम को लेकर आरोप लगाते हुए कहा है कि वैक्सीनेशन के मामले में केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार दोनों फेल साबित हुई है? उन्होंने कहा कि जब यह बात सामने आ चुकी है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम में वैक्सीनेशन ही सबसे कारगर उपाय है तो उसके बावजूद बाद आज भी वैक्सिनेशन को लेकर प्रदेश में कोई नीति नहीं है, कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है? खुद सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि 5.29 करोड़ डोस की प्रदेश को आवश्यकता है, 3.5 करोड़ डोस 18 वर्ष से 44 वर्ष तक के आयु के लोगों को लगना है और प्रदेश में अभी सिर्फ 11 लाख डोस ही उपलब्ध है? कमलनाथ ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि सरकार आज ग्लोबल टेंडर की बात कर रही है लेकिन मध्यप्रदेश के पहले जिन भी राज्यों ने ग्लोबल टेंडर किए हैं, उनको अभी तक एक भी वैक्सीन नहीं मिल पाई है? शिवराज सरकार कब ग्लोबल टेंडर करेगी, कब उसे वैक्सिंग मिलेगी, 5.29 करोड़ वैक्सीन के डोस कहां से आएंगे, कब आएंगे, कब लगेंगे, कुछ पता नहीं है? वैक्सीन के मामले भी प्रदेश की जनता भगवान भरोसे दिखाई दे रही है ? पूर्व मुख्यमंत्री ने निशाना साधते हुए कहा कि अब तो सरकार खुद 18 वर्ष से 44 वर्ष आयु वर्ग के 3.5 करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन की समय सीमा मार्च-2022 बता रही है? जबकि जिस कछुआ चाल से वैक्सिनेशन का कार्य चल रहा है, उससे तो लग रहा है कि यह काम अगले कई वर्षों तक पूरा नहीं हो पाएगा? एक तरफ कोरना की तीसरी लहर की बात की जा रही है और वैक्सीनेशन कोरोना की रोकथाम में कारगर उपाय बताया जा रहा है और ऐसे में वैक्सीनेशन के अभाव में कैसे लोगों को संक्रमण से बचाया जाएगा, कैसे कोरोना की तीसरी लहर का सामना किया जाएगा, यह बड़ा सवाल आज सभी के सामने है ? केन्द्र सरकार और पीएम मोदी पर कसा तंज कमलनाथ ने केन्द्र और पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि सभी जानते है कि विश्वगुरु बनने के चक्कर में 6.60 करोड़ वैक्सीन 80 से अधिक देशों को निर्यात कर दी और आज हमारे देश में ही वैक्सीन के पते नहीं है? प.बंगाल चुनाव के आखऱी चरण को देखते हुए 18 वर्ष के युवाओं को 1 मई से देश भर में वैक्सीन लगाने की झूठी घोषणा कर दी गयी और आज 25 दिन बाद तक वैक्सीन के पते नहीं है? कमलनाथ ने कहा कि बड़े शर्म की बात है कि केंद्र सरकार अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़, वैक्सीन का काम भी राज्य सरकारों के जिम्मे डाल रही है और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार तो इस मामले में पहले से ही उदासीन व लापरवाह बनी हुई है? कई दिनों तक तो वह यह तय नहीं कर पाई कि हमें ग्लोबल टेंडर करना है या नहीं करना है? ग्रामीण क्षेत्रों में तो वैक्सिनेशन कार्यक्रम के पते ही नहीं हैं, कई ग्रामीण इलाकों में तो अभी तक एक भी टीका नहीं लग पाया है? वहाँ संचार माध्यमों की कमी व पंजीयन के कारण वैक्सीनेशन का कार्यक्रम पिछड़ रहा है, इन सब बातों को देखते हुए प्रदेश में वैक्सीनेशन का कार्यक्रम कब और कैसे पूरा होगा, यह बड़ा सवाल आज सबके सामने है ? ब्लैक फंगस से बने भयावह हालात कमलनाथ ने कहा कि दूसरी तरफ प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीज दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, यह बीमारी बेहद भयावह है, इसकी मृत्यु दर कोरोना से भी कई गुना ज्यादा है। इसके पीडि़त मरीज और उनके परिजनो के इस बीमारी में लगने वाले इंजेक्शनो की मांग वाले वीडियो रोज सामने आ रहे हैं, रोज पीडि़त परिवार सरकार के आगे इंजेक्शन दिलवाने की गुहार लगा रहे हैं। प्रदेश में इंजेक्शन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है और सरकार का पूरा ध्यान 1 जून से प्रदेश को अनलॉक करने पर लगा हुआ है ? जबकि सरकार को अभी सब कुछ छोडक़र पहले ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की प्रदेश में आपूर्ति युद्ध स्तर पर करना चाहिए लेकिन उसको चिंता प्रदेश को 1 जून से अनलॉक करने की, अपने राजस्व की, शराब की दुकानो को खोलने की है? हिन्दुस्थान समाचार/ नेहा पाण्डेय

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