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चरक संहिता में आहार को बहुत ही सरल एवं व्याहरिक रूप से समझाया गयाः प्रो. नथानी

अनूपपुर, 06 फरवरी (हि.स.)। माध्यम से मानव शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य को कैसे प्राप्त किया जा सकता है। ऋतु अनुसार कैसा आहार लेना चाहिए, जिससे व्यक्ति स्वस्थ्य रह सके। आयुर्वेद ग्रंथ चरक संहिता में आहार आहार को बहुत ही सरल एवं व्याहरिक रूप से समझाया गया है। यह बात इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक में योग एवं प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के संयुक्त तत्वाधान में प्राचीन भारतीय योग परंपरा एवं सांस्कृतिक विरासत विषय पर आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के पंचम दिवस शनिवार के प्रथम सत्र में अध्यक्ष योग एवं स्वास्थ्य वृत्त बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नीरू नथानी ने कही। कार्यशाला में देश के विभिन्न भागों से लगभग 325 प्रतिभागी गूगल मीट एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े। दूसरे सत्र में निदेशक मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, दिल्ली डॉ. आईव्ही बसवारेड्डी ने योग के उद्भव एवं विकास शिव एवं पार्वती के योग संवाद को बताते हुये कहा कि ङ्क्षसधु घाटी सभ्यता से लेकर वैदिक काल एवं अन्य कालो में भी योग के उत्कर्ष वेयम विकास,योग के मूल तत्वों के साथ योग वशिष्ट एवं पतंजलि योग सूत्र ग्रंथों का मन के नियंत्रण के उपायों,सांख्य दर्शन एवं योग दर्शन के जीवन दर्शन एवं जीवन सांध्य की बात करते हुये चित्त एवं अवस्थाओं को साधने के लिए अभ्यास एवं वैराग्य को बताया। तंत्र शास्त्र एवं जैन धर्म एवं बौद्घ धर्म के बारे में ताॢकक शब्दो जानकारी दी। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला-hindusthansamachar.in

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