In a coaching class sending studies daily, avoiding sending them to school
In a coaching class sending studies daily, avoiding sending them to school

रोजाना पढ़ने भेज रहे कोचिंग क्लास में, स्कूल भेजने से बच रहे

उज्जैन, 05 जनवरी (हि.स.)। शहर के शासकीय और निजी स्कूलों में माध्यमिक शिक्षा मण्डल की कक्षा 10वीं एवं 12वीं बोर्ड की नियमित कक्षाएं लग रही है। शिक्षकों द्वारा कोविड-19 के प्रोटोकॉल अनुसार पढ़ाया जा रहा है, लेकिन गौरतलब बात यह है कि अधिकांश विद्यार्थी कोचिंग तो जा रहे हैं किंतु स्कूल जाने की बात पर कह रहे हैं कि उनके अभिभावकों ने अनुमति नहीं दी है। इसी प्रकार कुछ मामले ऐसे आ रहे हैं। जहां चर्चा करने पर अभिभावकों द्वारा शिक्षकों को जवाब दिया जा रहा है कि वे कोविड के कारण भय से बच्चों को स्कूल पढऩे नहीं भेज रहे हैं। इस प्रश्न पर कि आपका बच्चा बाजार में तथा कोचिंग पर तो दिखाई दे रहा है? फिर स्कूल आने से क्यों रोक रहे हैं? अभिभावक निरूत्तर हो जाते हैं। यह आम समस्या इन दिनों दिखाई दे रही है, जिसको लेकर पालकों के द्विसोच को लेकर अंगुलियां उठ रही है। इस संबंध में निजी स्कूलों द्वारा कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है, लेकिन शासकीय स्कूल के प्राचार्यो द्वारा यह कहा जा रहा है कि हम तो लगातार कोशिश कर रहे हैं। ऑनलाइन भी पढ़ा रहे हैं। यदि बच्चा स्कूल आता है तो उसे अतिरिक्त लाभ होना है। खास करके जीव विज्ञान-गणित संकाय के विद्यार्थियों के प्रेक्टिकल भी करवाए जाना है। वे आएंगे ही नहीं,तो कैसे होगा पाठ्यक्रम पूरा? हालांकि इन बातों को लेकर प्रायवेट स्कूल में पढऩे वाले विद्यार्थियों के कतिपय पालकों का कहना है कि हम यदि नियमित भेजेंगे तो फीस के लिए दबाव बनना शुरू हो जाएगा। ऐसे में टाल रहे हैं, क्योंकि घर की आर्थिक स्थितियां अभी सुधरी नहीं है। इस संबंध में जिला शिक्षाधिकारी रमा नाहटे का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में तो विद्यार्थी पहुंच रहे हैं। वहां प्रेक्टिकल भी शुरू हो जाएंगे इसी सप्ताह। शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं। जबर्दस्ती करने से रहे। ऐसे में जैसी अभिभावकों की इच्छा। हिन्दुस्थान समाचार/ललित/राजू-hindusthansamachar.in

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