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80 फीसद बच्चों की सेहत में सुधार, तीन महीने में 341 को मिली कुपोषण से मुक्ति

गुना, 24 मार्च (हि.स.)। जिले में कुपोषण की चपेट में आए बचपन की अब सेहत सुधरने लगी है। इनके सुपोषित होने से माता और पिता के चेहरे खिल उठे हैं। वहीं दूसरी ओर सिसकियों के बिछौने पर अब बच्चों की किलकारी गूंजने से परिजनों की उम्मीदों को नई रोशनी मिली है। कुपोषित बच्चों को नया जीवन मिला है, कलेक्टर के नवजीवन अभियान से। जिसमें हर रोज जिले के अधिकारी मॉनीटरिंग करते नजर आ रहे हैं। जिले में तीन महीने के भीतर 80 फीसद बच्चों के चेहरे पर फिर से मुस्कान लौटी है। कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने 902 कुपोषित बच्चों को सुपोषित की श्रेणी में लाने के लिए नवजीवन अभियान का आगाज दिसंबर महीने में किया था। इस अभियान में जिला प्रशासन के अधिकारी से लेकर गुना नागरिक मंच को जो?कर बच्चों के स्वास्थ्य में लाभ दिलाने के लिए हर रोज केला, संजीवन सत्तू, रिफाइंड तेल और पौष्टाकि आहार का वितरण किया। हर रोज आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कुपोषित बच्चों को पोषण आहार खिलाने के बाद मॉनीटरिंग करते रहे, जिसकी वजह से आज 341 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति मिल गई है, तो वहीं दूसरी ओर 382 अतिकुपोषित बच्चों के सेहत में सुधार आया, तो वह मध्यम श्रेणी में शामिल हो गए। अभी हाल में 179 अतिकुपोषित बच्चों की मॉनीटरिंग की जा रही है। चांचौड़ा में 83 और राघौगढ़ में 94 बच्चे हुए स्वस्थ: महिला एवं बाल विकास जिला कार्यक्रम अधिकारी धीरेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि चांचौड़ा में 83,राघौगढ़ 94,गुना ग्रामीण 71,गुना शहरी 17बमोरी 49 और आरोन में 27 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति मिल गई है। साथ ही अतिकुपोषित से मध्यम श्रेणी (मेम) में आरोन 37,बमोरी 42,चांचौड़ा 75, गुना ग्रामीण 82, गुना शहरी 44, और राघौगढ़ में 102 आ गए हैं। कलेक्टर और जिला प्रशासन ने अतिकुपोषित बच्चों को लिया गोद तो बदल गई इबारत: कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने जिले को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए नवाचार किया। उन्होंने एक बच्चे को गोद लिया। उसके बाद जिले के प्रत्येक अधिकारी ने अतिकुपोषित बच्चों को गोद लेना शुरू कर दिया। जब तक बच्चे सुपोषित नहीं हुए तब तक उनकी मॉनीटरिंग खुद अधिकारी करते रहे, जिसकी वजह से 80 फीसद बच्चों की सेहत में सुधार आ चुका है। नए अतिकुपोषित बच्चे मिले 500 उनकी मॉनीटरिंग में जुटे अधिकारी: जिले में जब 881 बच्चों के वजन में वृद्धि हुई तो जिला प्रशासन के अधिकारियों के चेहरे खिल उठे थे, लेकिन उसके बाद भी जब ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण मुक्ति के लिए सर्वे किया गया, तो सामने आया कि करीब 500 नए कुपोषित बच्चे मिले है। उसके बाद कलेक्टर की निगरानी में उन बच्चों को सुपोषण आहार देना शुरू कर दिया गया। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता डोर-टू-डोर उनकी रिपोर्ट तैयार कर रही है। कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि जिले में नवजीवन अभियान का आगाज हुआ तो 80 फीसद अतिकुपोषित बच्चों की सेहत में सुधार आया। 341 अतिकुपोषित बच्चे आज स्वस्थ हो चुके है। तो वहीं 382 बच्चे सेम से मेम की श्रेणी में आ चुके हैं। 881 कुपोषित बच्चों का वजन बढ़ा है। जल्द ही जिले को कुपोषण से मुक्ति मिल जाएगी। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक

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