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यदि आचरण सही और शुद्ध नहीं तो कितना भी मंगलाचरण कर लें : शास्त्री

गुना, 06 फरवरी (हि.स.)। यदि हमारा आचरण सही और शुद्ध नहीं है तो हम कितना भी मंगलाचरण कर लें वह सब व्यर्थ है। हमें अपना आचरण विनम्र और शुद्ध रखना होगा तभी सही मंगलाचरण का लाभ प्राप्त होगा। यह प्रेरणादायी बात पंडित कमल किशोर शास्त्री ने शनिवार को श्री गणेश मंदिर प्रांगण नत्थूखेड़ी गुना में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन उपस्थित श्रोताओं को बताई। उन्होंने अपनी बृजशैली में भागवत का व्याख्यान करते हुए श्रोताओं को बड़े ही मार्मिक प्रसंग सुनाए। भगवान श्रीकृष्ण के अंश से उत्पन्न रुक्मणी के पुत्र प्रद्युम्न के द्वारा समरा सुर नाम के जाति के वध की कथा एवं भगवान श्री कृष्ण के 16107 अन्य भाई की कथा का बड़ा ही सुंदर प्रसंग सुनाया। इसके उपरांत अतिथि सत्कार की महिमा का वर्णन करते हुए पांडवों द्वारा राजसूर्य यज्ञ संपन्न कराने की कथा बहुत ही सुंदर भजनों के साथ भगवान के द्वारा यदुवंश के विस्तार की कथा का विवरण सुनाया। सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि सुदामा कृष्ण के परम मित्र तथा भक्त थे। वे समस्त वेद-पुराणों के ज्ञाता और विद्वान् ब्राह्मण थे। श्री कृष्ण से उनकी मित्रता ऋषि संदीपनी के गुरुकुल (उज्जैनी) में हुई। सुदामा अपने ग्राम के बच्चों को शिक्षा प्रदान करते थे और अपना जीवन यापन ब्राह्मण रीति के अनुसार वृत्ति मांग कर करते थे। वे एक निर्धन ब्राह्मण थे फिर भी सुदामा इतने में ही संतुष्ट रहते और हरि भजन करते रहते। दीक्षा के बाद वे अस्मावतीपुर (वर्तमान पोरबन्दर) में रहते थे। अपनी पत्नी के कहने पर सहायता के लिए द्वारिकाधीश श्री कृष्ण के पास गए। परन्तु संकोचवश उन्होंने अपने मुख से श्री कृष्ण से कुछ नहीं मांगा। परन्तु श्री कृष्ण तो अन्तर्यामी हैं, उन्होंने भी सुदामा को खली हाथ ही विदा कर दिया। सुदामा कृष्ण से मिलने गए तो भेंट स्वरुप उनके लिए एक कपड़े में चावल बांध कर ले गए और प्रभु श्री कृष्ण ने उनके यही चावल खाकर उनकी दरिद्रता को दूर किया। जब सुदामा अपने नगर पहुंचे तो उन्होंने पाया की उनकी टूटी-फूटी झोंपड़ी के स्थान पर सुन्दर महल बना हुआ है। उनकी पत्नी और बच्चे सुन्दर, सजे-धजे वस्त्रो में सुशोभित हो रहे हैं। अब अस्मावतीपुर का नाम सुदामापुरी हो चुका था। इस प्रकार श्री कृष्ण ने सुदामा की निर्धनता का हरण किया। वे श्री कृष्ण के अच्छे मित्र थे। वे दोनों दोस्ती की मिसाल है। सुदामा श्रीकृष्ण चरित्र के उपरांत कथा को विश्राम दिया । हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक-hindusthansamachar.in

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