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पेट्रोलियम मंत्रालय व तेल कंपनियों को डीजल-पेट्रोल में एथेनाल का ज्यादा टैक्स वसूलने पर हाईकोर्ट का नोटिस

जबलपुर, 03 मार्च (हि.स.)। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच ने बुधवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए तेल कंपनियों और पेट्रोलियम मंत्रालय को नोटिस जारी कर पूछा है कि एथेनॉल मिले डीजल-पेट्रोल पर टैक्स लेने का क्या प्रावधान है, क्या एथेनॉल मिले डीजल-पेट्रोल पर पांच प्रतिशत से अधिक टैक्स लिया जा सकता है ,परन्तु इस पर 51 प्रतिशत टैक्स वसूला जा रहा है। मामले में डबल बेंच में सुनवाई हुई और नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता मनीष शर्मा की ओर से अधिवक्ता सुशांत श्रीवास्तव ने पक्ष रखा और बताया कि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय सहित सभी ऑइल कंपनियों को पक्षकार बनाया गया है, अधिवक्ता सुशांत श्रीवास्तव ने तर्क रखा कि पांच प्रतिशत टैक्स की बजाय 18 प्रतिशत केंद्र सरकार और 33 प्रतिशत टैक्स राज्य सरकार वसूल रही है। ऑयल कंपनियां अभी सात से 10 प्रतिशत इथेनॉल मिला रही हैं, इसे 2025 तक 20 प्रतिशत और 2030 तक 30 प्रतिशत तक ले जाने का टारगेट रखा गया है। याचिककर्ता ने बताया कि एक हजार मिलीलीटर पेट्रोल में वर्तमान में सात से 10 फीसदी यानी लगभग 70 से 100 मिलीलीटर तक एथेनॉल मिलाया जा रहा है, बावजूद सरकार पूरे एक हजार मिलीलीटर पर टैक्स लगा रही है, जबकि 51 फीसदी टैक्स केवल पेट्रोल की मात्रा पर यानी 900 मिलीलीटर पर वसूलना चाहिए, शेष एथेनॉल की 70 से 100 मिलीलीटर मात्रा पर 5 फीसदी से ज्यादा टैक्स नहीं लेना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होने से लोगों को महंगा पेट्रोल मिल रहा है। आने वाले समय में एथेनॉल की मात्रा बढ़कर 300 मिलीलीटर तक पहुंच जाएगी, पेट्रोल कंपनियों एथेनॉल की मात्रा बढ़ाती जा रही हैं लेकिन इसे दर्शाया नहीं जाता है, नियमानुसार इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल-डीजल पर महज पांच प्रतिशत टैक्स लिया जाए, तो आम लोगों को चार से छह रुपये सस्ते में डीजल-पेट्रोल मिलेगा। हिन्दुस्थान समाचार /ददन

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