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पर्यावरण के प्रश्नों को चुनावी घोषणापत्रों में शामिल करने के लिए बाध्य किया जाए: त्रिवेेदी

-वेबीनार में पर्यावरणविदों ने प्रदूषण मुक्त समाज के लिए नई सोच लाने पर बल दिया रतलाम,6 जून (हि.स.)। इन दिनों कोविड काल में पर्यावरण समृद्ध हुआ हैं, लेकिन समान्य काल में भी पर्यावरण की शुद्धता बनी रहे इस हेतु ग्रीन टेकनोलोजी का उपयोग कर निरंतर प्रयास करने होंगे। प्रदूषण मुक्त समाज के लिए नयी सोच लानी होंगी। उक्त विचार हिन्दी मासिक पर्यावरण डाइजेस्ट द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित वेबिनार में पर्यावरणविद डॉ.प्रियरंजन त्रिवेदी ने पर्यावरण अतीत, वर्तमान और भविष्य विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। डॉ.त्रिवेदी ने कहा कि हमें ऐसे पर्यावरणीय धर्म का विकास करना हैं, जिसमे धरती पर उपलब्ध जीवन के सभी पक्षों के संरक्षण के लिए प्रकृति मित्र योजनायें बनाई जा सकें। हमें मतदाता जागरूकता का एक वृहत कार्यक्रम चलाना होगा जिसमें चुनाव में शामिल दल और उम्मीदवारों को इसके लिए बाध्य किया जा सके कि वे पर्यावरण के प्रश्नों को चुनावी घोषणापत्रों में शामिल करें और इसके लिए जरूरी योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जनता के सामने अपनी राय स्पष्टता से रखें। ऐसा नहीं करने पर इन दलों और उम्मीदवारों का चुनाव में बहिष्कार किया जाये। पर्यावरणीय आपातकाल भी लगाया जाए इंदौर के पर्यावरणविद व गुजराती विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ.ओ.पी जोशी ने कहा कि अतीत में हमारा पर्यावरण हरा-भरा और स्वास्थ्यवर्धक था, लेकिन वर्तमान में हर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण के कारण पर्यावरण बिगड़ता जा रहा हैं। इसके कारण समान्य भारतीय की औसत आयु कम हो रही हैं। पर्यावरण के हर क्षेत्र में हो रहे क्षरण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। पर्यावरण जन आंदोलन नहीं बन पाया वेबिनार में युवाम के संस्थापक पारस सकलेचा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि पर्यावरण प्रकृति और मनुष्य के बीच सेतु हैं, पर्यावरण के कई अवयव हैं। प्रदूषण, क्षरण और मरण पर्यावरण के अवययों की तीन अवस्थाएँ हैं जो हमारे मनोभावों को प्रभावित कर रही हैं। हमने पर्यावरण को धर्म से जोड़ दिया और धर्म भय से जुड़ा हुआ है, इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि पर्यावरण जनांदोलन नहीं बन पाया। पर्यावरण संरक्षण वैश्विक मुद्दा बन गया हैं राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पर्यावरण मित्र बदरीनारायण बिशनोई ने कहा कि जीवन का अस्तित्व पर्यावरण से जुड़ा हुआ हैं। पर्यावरण संरक्षण का प्रश्न वैश्विक मुद्दा बन गया हैं। आज हमारे जीवन का ऐसा कोई पक्ष नहीं हैं जिसे पर्यावरण प्रभावित नहीं कर रहा हैं। युवा पीढ़ी में सकारात्मक सोच का विकास कर युवाशक्ति का पर्यावरण सुरक्षा में उपयोग किया जा सकता हैं। जनसामान्य में जल चेतना पैदा करना होगी जिला विधिक सहायता अधिकारी सुश्री पूनम तिवारी ने कहा कि मालवा में हरियाली विस्तार की ज्यादा जरूरत हैं। स्थानीय परिस्थिति में पलने-बढऩे वाले देशी प्रजाति के पौधों को लगाए जाने की आवश्यकता हैं। इसके साथ ही गावों और शहरों में प्राचीन जल स्रोतों की साफ-सफाई करने और उन्हें निरंतर स्वच्छ रखने के लिए जनसामान्य में जल चेतना पैदा करनी होगी। प्रकृति के पक्ष में काम करना होगा पर्यावरण डाइजेस्ट के संयुक्त संपादक कुमार सिद्धार्थ ने कहा कि प्रकृति में परिवर्तन निरंतर प्रक्रिया हैं। हम में से अनेक लोग इस भ्रम में हैं कि हम पर्यावरण का संरक्षण कर रहे हैं, जबकि ज्यादातर लोग अपने अस्तित्व की रक्षा में लगे हुए हैं। वेबीनार के प्रारम्भ में पर्यावरण डाइजेस्ट के संपादक डा.खुशाल सिंह पुरोहित ने सभी अथितियों और सम्मिलित होने वाले सदस्यों का स्वागत किया और पत्रिका के प्रकाशन की साढ़े तीन दशक की यात्रा के विभिन्न पड़ावों की जानकारी दी। हिंदुस्थान समाचार / शरद जोशी

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