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बिजली विभाग ने विद्युत वितरण कंपनियों पर लगाया एक लाख का जुर्माना

रतलाम, 17 मई (हि.स.)। मध्यप्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ द्वारा भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 के नियमों के अनुसार विद्युत कंपनियों में कर्मचारियों के ट्रांसफर नियमों का पालन न करने के कारण म.प्र. हाईकोर्ट जबलपुर पर याचिका दायर की गई थी। न्यायालय के आदेशानुसार म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा 2012 में म.प्र. के विद्युत अधिकारियों, कर्मचारियों की पेंशन की व्यवस्था के लिए एक रेग्युलेशन बनाया गया था, लेकिन विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा उक्त रेग्युलेशन का पालन न करने के कारण 2012 से अभियंता संघ लगातार पेंशन फंड बनाने एवं उसमें राशि जमा कराने की मांग करता आ रहा था, जिसे भी कंपनियों द्वारा घाटे का बहाना लेकर जमा नहीं कराया गया था। सोमवार को अभियंता संघ के महासचिव इ.व्ही.के.एस.परिहार ने बताया कि इसी को लेकर अभियंता संघ द्वारा आयोग में मार्च 18 में आयोग के आदेशों की अवहेलना करने संबंधी याचिका दायर की गई थी। 2017-18 से लगातार आयोग द्वारा प्रतिवर्ष टैरिफ आर्डर में पेंशन एवं बेनिफिट ट्रस्ट फण्ड में राशि जमा करने के आदेश देता रहा है जो कि 2020-21 तक रु. 750 करोड़ हो गए है, कंपनियों द्वारा उक्त राशि ट्रस्ट में जमा न करने के कारण अभियंता संघ द्वारा याचिका पर आयोग ने इसे अपनी अवमानना मानते हुए पावर मैनेजमेंट कंपनी एवं सभी वितरण कंपनियों को दोषी करार देते हुए एतिहासिक फैसला पावर मैनेजमेंट कंपनी एवं वितरण कंपनियों के विरूद्ध दिया है। जिसमें बताया कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 149 के अंतर्गत निहित प्रावधानों के तहत विद्युत कंपनियों के उपर विद्युत दर निर्धारण आदेश वर्ष 2017-18, वर्ष 2018-19, वर्ष 2019-20 एवं वर्ष 2020-21 के प्रत्येक उल्लंघन के लिए एक लाख का अर्थदंड अधिरोपित किया है। अर्थदंड का भुगतान आदेश के दिनांक से 30 दिनों के भीतर आयोग में जमा कराना होगा। परिहार ने बताया कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा मध्यप्रदेश मैनेजमेंट कंपनी समेत प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के उल्लंघन कर संयुक्त रुप से दोषी करार दिया गया है एवं आदेशित किया है कि मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी बेनिफिट एवं पेंशन ट्रस्ट फंड में आदेशानुसार राशि जमा करने के लिए प्राथमिक रुप से जिम्मेदार है अत: सबसे पहले अर्थदंड का भुगतान पावर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा किया जाएगा। आयोग द्वारा विद्युत कंपनियों को 750 करोड रुपये की बकाया राशि का बैंक दर से ब्याज सहित भुगतान मार्च 2022 तक टर्मिनल, बेनिफिट ट्रस्ट फंड में करने हेतु भी निर्देशित किया गया है। मध्यप्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी को भी निर्देशित किया गया है कि 3 माह के भीतर वह टर्मिनल बेनिफिट ट्रस्ट फंड के पेंशन और सेवान्त लाभों के दायित्व के निर्वहन लिए स्वनिर्भर होने के लिए आवश्यक निधि का बीमांकित मुल्यांकन कराएगा ताकि ट्रांसफर स्कीम रूल्स की अवधारणा के अनुसार विद्युत कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित किया जा सके। उक्त आदेश में यह भी निर्देशित किया गया है कि भविष्य में मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी एवं विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा आयोग के आदेश के बार-बार उल्लंघन पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 146 के अंतर्गत दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी। हिन्दुस्थान समाचार/शरद जोशी

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