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किराना और दवाई की दुकानों पर भीड़ कम, शराब की दुकानों पर लगी लाइनें

रतलाम,14 जून (हि.स.)। लम्बी अवधि की तालाबंदी के बाद जैसे-जैसे व्यवसायिक लोगों को छूट मिलने लगी है इससे बाजार में भीड़ भी कम हुई है और लोगों को आसानी से जरूरत की वस्तुएं खरीदने का पूरा समय मिलने लगा है। प्रमुख बाजारों में भीड़ कही-कही इसलिए नजर आ रही है कि ग्रामीण किसान बारीश के पूर्व खरीदी के लिए अपने-अपने साधनों से शहर पहुंच रहे है। झूंड के झूंड आदिवासी किसान दुकानों पर नजर आते है, इससे दुकानदारों के चैहरे पर भी रौनक नजर आती है वहीं बाजार भी गुलजार नजर आने लगे है जो कभी पुलिस के सायरनों की आवाज से गुंजा करते थे। आपदा प्रबंधन की बैठक में दुकानें खुलने का समय प्रात: से कर दिए जाने के कारण अब लोग सुविधा से अपनी-अपनी दुकानें खोल रहे है, कही किसी प्रकार की परेशानी नहीं है। शाम 6 बजे तक का समय होने के कारण लोग 5 बजे बाद से ही दुकानें बंद करना प्रारंभ कर देते है। रात्रि कालिन कफ्र्यू रात 8 बजे से प्रात: 6 बजे तक है। इस दौरान भी अधिक सख्ती न होने से लोग राहत महसूस कर रहे है। प्रशासन भी ऐसे लोगों के खिलाफ चालानी कार्रवाई कर रहा है जो बिना कारण बाजार में घुमते है और जनता कफ्र्यू के नियमों का उल्लंघन करते है। व्यापारिक संस्थानों ने भी अपने अधिनस्थ सदस्यों को इस बात के निर्देश दिए है कि वे दुकान पर आने वाले लोगों को मास्क लगाने के निर्देश दे। सामाजिक दूरी का पालन करने के लिए कहे, ताकि शासन-प्रशासन द्वारा दी गई छूट का कोई बेजा फायदा न उठाए, क्योंकि कोरोना संक्रमण अभी पूरी तरह सेे समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए हर व्यक्ति को कोरोना से बचाव के लिए टोका-टाकी करना जरूरी है। लोगों का यह भी सोचना है कि यदि हमने कोरोना गाईड लाईन का पालन नहीं किया तो तालाबंदी की फिर नोबत आ सकती है और वह सभी के लिए दुखदायी होगी,क्योंकि कोरोना काल में समाज का कोई ऐसा वर्ग नहीं बचा जो पीडि़त और परेशान न हो। इस दौरान कई लोगों ने अपने परिजनों को खोया है तो कई लोग आर्थिक रुप से परेशान हो गए है। कोरोना पीडि़त लोग इलाज में हुए खर्च से आर्थिक रुप से कंगाल हो गए है। शासन ने भले ही कई योजनाएं निर्धन लोगों के लिए बनाई हो लेकिन उन तक मदद पहुंची यह जरूरी नहीं है, क्योंकि कोरोना काल में कई ऐसे लोग सहायता के लिए हाथ बढ़ाते देखे गए जो सभी प्रकार से दुखी और परेशान थे। हालांकि जरूरतमंद लोगों की मदद कई दयावान लोगों ने एवं सामाजिक संस्थाओं ने की। उसके बाद भी कई ऐसे लोग आर्थिक सहयोग से वंचित रह गए जो मदद के लिए हाथ बढ़ाना नहीं चाहते थे और संकोच के कारण हाथ नहीं फैला सकते थे। शराब की दुकानों पर भीड़ जब से शराब के नए ठेके शहर और जिले में हुए है तब से शराब की दुकानों पर भीड़ काफी नजर आने लगी है। आश्चर्य तो इस बात का है कि रविवार को सम्पूर्ण तालाबंदी के बाद भी सड़कों पर जहां भीड़ देखी गई वहीं शराब की दुकानों पर भीड़ देखकर आश्चर्य हुआ। शराब के ठेकों के जानकार ने बताया कि इस बार शराब की दुकानों की ठेका मनोपाली न होने के कारण प्रतिस्पर्धा बड़ी है और सूराप्रिय लोगों को सस्ती शराब सुलभ होने लगी है। पहले एक ही ठेेकेदार का साम्राज्य होने के कारण मनमाने भाव पर शराब की बिक्री होती थी और महंगी शराब लोगों को मिलती थी, लेकिन अब कुछ दिनों से 50 से 60 प्रतिशत कम रेट पर शराब लोगों को मिल रही है। यहीं कारण है कि शराब की दुकानों पर भीड़ उमड़ रही है। हिस प्रतिनिधि ने शराब की दुकानों का भी अवलोकन किया तो प्राय: सभी जगह सुरा प्रेमियों की भीड़ नजर आई, जिनमें सभी प्रकार के लोग शामिल थे। एक का यह भी कहना है कि शासन ने शराब की दुकान खोलने का निर्णय कर अच्छा कदम उठाया है, क्योंकि इससे लोगों को गांव में बिकने वाली जहरीली और नकली से बचाया जा सकता है। अब शराब पीने वालों की आर्थिक स्थिति पहले की तुलना में अधिक सुदृढ़ हो गई है, वे अच्छी किस्म की शराब पीना पसंद करते है, ताकि किसी प्रकार का साईड इफेक्ट न हो। यह भी चर्चा जरूरी है कि कोरोना काल में जहां किराना व दवाई दुकानों पर भीड़ उमड़ती थी वहीं अब शराब की दुकानों पर भीड़ देखी जा सकती है, इसे क्या कहें यह विचारणीय प्रश्न है? लोगों के लिए खाने की सामग्री के साथ ही बेहतर स्वास्थ्य के लिए दवाई और मानसिक तनाव को दूर करने के लिए अब शराब भी इनके साथ महत्वपूर्ण हो गई है। हिन्दुस्थान समाचार/शरद जोशी

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