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शहर के कोरोना योद्धा...जिन्होंने पॉजिटिव आने के बाद नहीं हारी हिम्मत

-अपना और परिवार का मनोबल बनाए रखा तथा इस बीमारी से जीत गए उज्जैन, 28 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना पॉजिटिव आते ही व्यक्ति के मन में घबराहट आ जाती है। विचार आते हैं कि वह ठीक होगा या नहीं? लेकिन शहर में ऐसे लोग/परिवार भी हैं जो पॉजीटिव आने के बाद हिम्मत के साथ डटे रहे। उन्होंने अपना और परिवार का मनोबल बनाए रखा तथा इस बीमारी से जीत गए। इनमें से एक हैं 36 वर्षीय चंद्रशेखर पुत्र रामदीन कहार निवासी त्रिवेणी विहार। उनकी 12 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पॉजीटिव आई। तब से घर पर ही होम आइसोलेट होकर इलाज करा रहे हैं। बीच में कई परेशानी आईं। मन घबराता था क्योंकि ऑक्सीजन का लेवेल कम हो जाता था लेकिन उन्होंने हिम्मत नही हारी । योगा और व्यायाम करते रहे। समय पर दवाइयां समय लेते रहे जिससे स्वास्थ में सुधार आया है। बातचीत में उन्होंने बताया कि कोरोना रिपोर्ट आने के दूसरे दिन फेफड़ों में संक्रमण ज्यादा होने के कारण सुबह 5.30 बजे ऑक्सीजन लेवल 82 पर चला गया। मैंने गर्म पानी का सेवन किया। करीब 10 से 15 मिनट भाप ली। मेरा ऑक्सीजन लेवल 94 पर आ गया, जिसके बाद मैंने राहत की सांस ली और अब मैं अपने आप को स्वस्थ और तंदुरुस्त महसूस कर रहा हूं। उन्होंने अपने छोटे भाई छन्नू, लक्ष्मण,माता-पिता-बहन को धन्यवाद दिया जिन्होंने देखभाल की। साथ ही मित्र मोनू,मुन्ना, अमित, संदीप, मनोज मामा को धन्यवाद दिया,जिन्होंने उससे लगातार मोबाइल फोन पर बातचीत करके संबल दिया। अमित मिश्रा निवासी ऋषि नगर, एलआईसी में सहायक पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि मैं घबराया नहीं और अपने मन में सकारात्मक सोच बना ली कि कोरोना को हराना ही है। डॉक्टर ने जो दवाइयां दीं तथा जो सावधानी रखने को कहा, जो मार्गदर्शन किया, उसका पालन किया। स्वयं को आइसोलेट किया और परिवार के किसी भी सदस्य नहीं मिलता था। व्यायाम करना, कसरत करना ,अपने आप को मोटिवेट करके इस बीमारी से बाहर निकल गया। नीति शर्मा ने बताया की उनके पूरे परिवार में 6 लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं। हम लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और हम अपना उपचार घर पर ले रहे हैं। हालांकि मेरा भाई अभी गंभीर है और वह सीएचएल हॉस्पिटल में भर्ती है। साथ ही मेरी नानी 98 वर्ष की है और वह भी स्वस्थ हैं। मेरे यहां सबसे छोटी गुडिय़ा 9 वर्ष की है वह ठीक है। हमने स्वयं को आइसोलेट कर रखा है। हम प्रशासन द्वारा दी गई दवाइयां ले रहे हैं और घर में रहते हुए सकारात्मक सोच के साथ एक दूसरे का उत्साह बढ़ाते हैं। हम योग,व्यायाम करते हैं तथा मोबाइल पर फिल्म देखने,मनोरंजन करके समय व्यतित कर रहे हैं। रिश्तेदारों के फोन आते हैं तो वे भी उत्साह बढ़ाते हैं। इससे आत्मविश्वास बढ़ा है और हम ठीक हो रहे हैं। हिंदुस्थान समाचार/ललित ज्वेल

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