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आरोन के अरनाथ भगवान की ख्याति एवं धर्म प्रभावना मिलकर बढ़ाते रहें: आर्यिका पवित्रमति माताजी

गुना, 27 फरवरी (हि.स.)। मंदिर में आते-आते वर्षों हो गए भगवान के दर्शन करते करते वर्षों हो गए। लेकिन इसके बावजूद सम्यक दर्शन की प्राप्ति नहीं हुई। आखिर क्या कारण है, क्या वजह है, कभी आपने सोचा है। क्या कभी आपने भगवान से कहा है कि हे भगवान मैं भी आप जैसा हो जाऊं। वंदे तद्गुण लब्धए। शायद उसकी वजह यह है कि आपने आज तक भगवान से कभी कहा ही नहीं कि भगवान में भी आप जैसा हो जाऊं। क्योंकि आपने तो हमेशा भगवान के समक्ष जाकर सिर्फ सांसारिक एवं भौतिक वस्तुओं की ही लालसा से भगवान से कामना की है। जबकि हमें यह मालूम होना चाहिए कि भावना भव का विनाश करती है। उक्त धर्मोपदेश आर्यिका पवित्रमति माताजी ने शनिवार को शांतिनाथ दिगंवर जैन मंदिर आरोन में धर्म सभा को संबोधित करते हुए दिए। उन्होंने कहाकि अब जब भी कभी मंदिर जाओ जिनेंद्र भगवान की भक्ति करो जिनेंद्र भगवान के दर्शन करो तो कायोत्सर्ग करते समय अपनी आंखें बंद कर लेना। क्योंकि आंखें बंद करके कायोत्सर्ग करोगे तो भगवान की छवि ही आपके अपने भीतर में स्थापित हो जाएगी। यहां वहां हमें नहीं देखना है हमें तो जिनेंद्र भगवान को मात्र देखना है। उनकी छवि को निहारना है और उनकी छवि को अपने भीतर में धारण करते हुए हमें भक्ति करना है। आर्यिका माताजी ने कहाकि आरोन में प्रतिवर्ष पंचकल्याणक महोत्सव की वर्षगांठ का आयोजन भव्य रूप में मनाया जाता है। वार्षिक विमान महोत्सव मनाया जाता है और रथयात्रा भी निकाली जाती है। यह सामूहिक धार्मिक आयोजन है। आचार्यश्री कहते हैं सामूहिक धार्मिक आयोजन में सभी को सम्मिलित होना ही चाहिए। यदि कोई व्यक्ति सामूहिक धार्मिक आयोजन में शामिल नहीं होता है तो वह व्यक्ति कुभोग भूमि में जाता है। अत: रविवार आरोन में जो वार्षिक महा मस्तकाभिषेक होना है एवं इसके बाद में श्रीजी को विराजमान करके रथ यात्रा एवं शोभायात्रा निकाली जानी है। इस धर्म प्रभावना के कार्य में सभी लोग सामूहिक रूप से सम्मिलित हों एवं धर्म प्रभावना करने में सहयोगी बनें। क्योंकि आरोन का जो नाम है जो आप सभी ने इतने समय में गुरुओं की भक्ति करते हुए माताजी के मार्गदर्शन में आपने आरोन का जो एक नाम बनाया है। आरोन के अरनाथ भगवान की यहां की ख्याति दूर-दूर तक है। उस ख्याति को आप सभी को मिलकर और भी बढ़ाना है। कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना है जो अप्रभावना का कारण बने। इसलिए सभी एकजुट होकर इस आयोजन में सामूहिक रूप से सम्मिलित अवश्य हों और प्रभावना बढ़ाने के कार्य में सहयोगी जरूर बनें। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक

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