consumers-are-feeling-current-due-to-huge-electricity-bills
consumers-are-feeling-current-due-to-huge-electricity-bills

बिजली के भारी भरकम बिलों से लग रहा है उपभोक्ताओं को करंट

रतलाम, 15 जून (हि.स.)। दो महीने से अधिक समय से शहर और जिले के कई इलाकों में तालाबंदी रही, इस दौरान दुकानें बंद थी, व्यापार चौपट था, लेकिन अब लोगों को बिजली के बिल का करंट लगने लगा है। अब लोगों को जो बिजली के बिल प्राप्त हुए हैं, विशेषकर दुकानदारों को वह अनाप-शनाप है। दुकानदारों का कहना है जब दुकानें बंद थी, बिजली नहीं जली, तो फिर भारी भरकम बिजली बिल उपभोक्ता को क्यों दिये गए। तालाबंदी के दौरान बिजली के बिल भरने के सारे रास्ते बंद हो गए थे। लोगों से कहा गया था कि वह आनलाइन बिल भरे, लेकिन जिनके पास आनलाइन बिजली के बिल भरने की व्यवस्था नहीं थी वह बिजली के बिल कैसे भरते। कई संस्थाओं ने शासन-प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब लोगों को दो-दो माह के बिजली के बिल जमा करवाना पड़ रहे है, वह भी उनकी सीमा से अधिक। विद्युत उपभोक्ताओं का कहना है कि लगता है विद्युत मंडल ने बिना रिडिंग के ही अनुमानित बिजली के बिल दुकानदारों तथा अन्य उपभोक्ताओं को थमा दिए, जो सीमा से अधिक है। रिडिंग नहीं हुई, तो पूर्व माहों के खपत के अनुसार बिजली के बिल दिए जाना थे, लेकिन मनमाने बिल बनाकर लोगों को दे दिए गए ,जिससे उन्हें झटका लगा है । वे अभी कोरोना काल में आर्थिक संकट से उभर हीं नहीं पाए है और लोगों को मनमाने बिजली के बिल थमा कर परेशानी में खड़ा कर दिया है। विद्युत मंडल में तरकाकर भगा दिया जाता है लोगों का कहना है कि इस सरकार में अधिकारी वर्ग हावी है, कोई किसी की सुनता नहीं और सम्मानीय उपभोक्ताओं को शिकायत करने पर कार्यालय में टरकाकर भगा दिया जाता है। 1 जून सेे पहले की स्थिति कितनी भयावह थी,जिसकी कल्पना से ही लोग सिहर जाते है। कोरोना संक्रमण की महामारी ने लोगों को जकड़ लिया, कई परिवार इस रोग का शिकार हो गए, जिन्हें दवाई का भारी खर्च वहन करना पड़ा, कालाबाजारी में मिल रही खाद्य सामग्री खरीदना पड़ी। खाद्यान्न वस्तुओं का भाव इस कदर बड़ गए है कि लोगों को अपने परिवार का भरण पोषण करना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे में बिजली के बिलों की मार लोग सहन नहीं कर पा रहे है। दूसरी और पेट्रोल-डीजल के बढ़ते भाव ने भी पहलेे ही लोगों की कमर तोड़ दी है और अब बिजली के बिलों से लोग त्रस्त हो गए है। कैसे लोग अपनी जीवन की गाड़ी चलाए यह प्रश्न हर कमजोर और मध्यम श्रैणी के परिवार के सामने खड़ा हो गया है। बिजली के बिलों का करेक्शन कर फिर भिजवाया जाए लोगों की मांग है कि बिजली के बिल पुन: परीक्षण करके उपभोक्ताओं केे घर भेजे जाए ताकि वह आसानी से बिजली के बिल भर सके, साथ ही विलम्ब शुल्क भी माफ किया जाए, जिनके बिजली के बिल वास्तव में यदि अधिक है तो उन्हें किश्तों में जमा करवाने के निर्देश भी सरकार देे, अन्यथा सरकार की जनहितैषी नीतियों की धज्जियां अधिकारी वर्ग उड़ाने में पीछे नहीं रहेंगे। हिन्दुस्थान समाचार / शरद जोशी

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in