भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जांच के लिये शासन की अनुमति लेने के फैसले पर कांग्रेस ने उठाया सवाल
भोपाल, 31 दिसम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश राज्य में अब किसी भी अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ जांच एजेंसियां सीधे प्रकरण दर्ज नहीं कर सकेंगी और पूछताछ भी नहीं कर सकेंगी। इसके लिए उन्हें अब पहले सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति लेनी होगी। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में नई धारा जोडक़र इस व्यवस्था को लागू कर दिया गया है। सरकार के इस निर्णय पर कांग्रेस ने सवाल उठाए है और कहा है कि इस व्यवस्था से मध्यप्रदेश भ्रष्टाचार का अड्डा बन जाएगा। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने गुरुवार को जारी अपने एक बयान पर सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि भ्रष्टाचारी अधिकारी एवं कर्मचारियों के खिलाफ ईओडब्ल्यू जैसी संस्थाओं को जांच करने के लिए शासन से अनुमति लेना होगी। सरकार का यह फैसला प्रदेश में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए एक घातक फैसला है। उन्होंने कहा कि लगता है इस फैसले से भ्रष्टाचार को जन मान्य कराने का सरकार ने संकल्प कर लिया है। सरकार को यह तुगलकी फैसला तत्काल वापस लेना चाहिए अन्यथा भ्रष्टाचारी लुटेरे अधिकारी स्वेच्छाचारी हो जाएंगे, उन्हें भय ही नहीं रहेगा। लोकायुक्त तथा ईओडब्ल्यू जैसी संस्थाएं किसी काम की नहीं रह जाएंगी। भूपेन्द्र गुप्ता ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जन उन्माद की बात करने वाली यह सरकार स्वयं भ्रष्टाचार को इस तरह आशीर्वाद प्रदान कर प्रदेश की गली गली में भ्रष्टाचार का वातावरण बनाना चाहती है? मध्य प्रदेश की जनता को विगत 15 सालों में न लोक सेवा गारंटी मिली ना ही सुशासन। आगे इस आदेश के बाद मध्य प्रदेश की जनता क्या क्या देखेगी यह स्वयंसिद्ध हो गया है। गुप्ता ने तत्काल इस फैसले को वापस लेने और जांच एजेंसियों की शुचिता एवं पवित्रता बनाए रखने की मांग की है। हिन्दुस्थान समाचार/ नेहा पाण्डेय-hindusthansamachar.in