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कमिश्नर ने की बाढ़ नियंत्रण तैयारियों की समीक्षा, सूचना तंत्र को मजबूत करने के निर्देश

उज्जैन, 10 जून (हि.स.)। उज्जैन संभागायुक्त संदीप यादव ने गुरुवार को संभाग के सभी जिलों में निर्मित एवं निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं के डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में जल निकासी के सम्बन्ध में तथा सूचना एवं चेतावनी प्रणाली स्थापित करने हेतु गठित निगरानी समिति की तैयारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन समीक्षा की। उन्होंने सभी कलेक्टर को निर्देश दिये कि बाढ़ के दौरान जिले का सूचना तंत्र प्रॉपर तरीके से काम करे। सूचना तंत्र सक्रियता से अपनी भूमिका निभाये। बाढ़ के पूर्व भी चेतावनी आदि देने का कार्य भी समय से पूर्व प्राप्त हो जाये। संभागायुक्त ने सभी कलेक्टर से कहा कि वे अपने-अपने जिलों में बाढ़ प्रभावित गांव अभी से चिन्हित कर लें और बाढ़ आने की स्थिति में उन गांवों के निवासियों को अन्यत्र शिफ्ट करने तथा उन तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था की सभी तैयारियों पुख्ता रखें। संभागायुक्त ने बाढ़ निकासी पर नियंत्रण करने वाली योजनाओं की जानकारी ली एवं डाउनस्ट्रीम पर संभावित क्षेत्रों में पानी के फैलाव वाले स्थान को चिन्हित करने के निर्देश दिये। उन्होंने विभिन्न परियोजनाओं द्वारा बारिश के दौरान छोड़े जाने वाले जल की मात्रा तथा फैलाव की जानकारी सही समय पर मिल जाने के निर्देश दिये और कहा कि विभिन्न बांधों से पानी छोड़ने से पूर्व अनिवार्य रूप से चेतावनी जारी की जाये, ताकि समय रहते गांवों को खाली कराकर वहां के लोगों को अन्यत्र शिफ्ट किया जा सके। संभागायुक्त ने जिला होमगार्ड को इस दौरान मुस्तैदी से कार्य करने और बाढ़ के दौरान काम आने वाली आवश्यक नाव, स्टीमर, रस्सी, टॉर्च एवं अन्य सामग्री की व्यवस्था करने के निर्देश दिये। ऑनलाइन समीक्षा के दौरान संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर, अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग, मुख्य अभियंता पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग, डिवीजन कमांडेंट होमगार्ड, वन मण्डलाधिकारी आदि मौजूद थे। संभागायुक्त यादव ने अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग को निर्देश दिये कि वे पानी रिलीज करने वाले विभाग नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के सम्पर्क में रहें। पानी रिलीज करने का सिस्टम जल संसाधन विभाग के कंट्रोल में रहे। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारी डेम में पानी भरने की स्थिति में तत्काल गेट खोलकर पानी की निकासी करे। इसके लिये अभी से प्लान तैयार कर लें। पानी छोड़ने से पूर्व इसकी चेतावनी विधिवत रूप से दी जाये। उन्होंने कहा कि इन सब में सभी कलेक्टरों की भूमिका महत्वपूर्ण है। वे एनवीडीए के सम्पर्क में रहें। सभी कलेक्टर बाढ़ के पानी से प्रभावित होने वाले गांवों की सूची तैयार कर लें। छोटी-छोटी नदियों के जल से गांव प्रभावित हो जाते हैं और टापू में परिवर्तित हो जाते हैं। आने-जाने का रास्ता कट जाता है। ऐसी स्थिति में रास्ता बनाये जाने एवं प्रभावित लोगों तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था पुख्ता रखी जाये। झाबुआ एवं राजस्थान के कुछ जिलों से भी डेम से पानी छोड़ा जाता है। ऐसी स्थिति में नजदीकी जिले के कलेक्टर भी उन जिलों के सम्पर्क में रहें। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश

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