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कमिश्नर ने की गेहूं उपार्जन की समीक्षा, कहा- खरीदी केन्द्रों पर किसानों के लिए हो उत्कृष्ट व्यवस्थाएं

भोपाल, 03 फरवरी (हि.स.)। भोपाल संभाग के कमिश्नर कवीन्द्र कियावत ने बुधवार को गेहूं उपार्जन को लेकर कृषि, सहकारिता, वेयर हाउसिंग, मार्कफेड, खाद्य आपूर्ति विभाग सहित अन्य संबंधित अधिकारियों की बैठक लेकर तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने खरीदी वर्ष 2021-22 में रबी फसलों के उपार्जन के संबंध में खरीदी केन्द्रों में व्यवस्था, परिवहन, भंडारण, भुगतान सहित सभी बिन्दुओं पर विस्तृत समीक्षा कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। कमिश्नर कियावत ने कहा कि उपार्जन केन्द्रों पर सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए निरीक्षण दल बनाया जाएगा। यह दल खरीदी प्रारंभ होने के पूर्व ही सभी केन्द्रों का विस्तृत निरीक्षण कर सभी व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करेगा। इसमें सहकारिता, कृषि सहित संबंधित विभाग के अधिकारी, कर्मचारी होंगे। "किसानों को निमंत्रण पत्र देकर बुलाएं" उन्होंने कहा कि किसानों को एसएमएस के साथ ही निमंत्रण पत्र देकर बुलावा भेजा जाएगा। इन पत्रों का वितरण कोटवार के माध्यम से कराया जाए। जिसमें दिन, दिनांक सहित समय भी अंकित होगा। ताकि सुचारू रूप से उपार्जन हो सके। किसानों को उपार्जन केन्द्रों पर ड्रोप गेट लगाकर तय समय के अनुरूप ही टोकन देकर अंदर बुलाया जाएगा। "किसानों को एफ ए क्यू की जानकारी दी जाए" कमिश्नर ने कहा कि किसानों को किसान खेत पाठशाला में उपयुक्त गुणवत्ता का एफएक्यू अनाज उपार्जन केन्द्रों में लाने की जानकारी दी जाए। उपार्जन केन्द्रों में तय नमी युक्त सूखा हुआ साफ अनाज लाने की जानकारी दी जाए ताकि उपार्जन केन्द्रों पर सुचारू रूप से खरीदी की जा सके। धान वाले क्षेत्रों से गेहूं में मिट्टी की समस्या ज्यादा आती है इसके लिए किसानों को समझाइश दी जाए कि मेढ़ से डेढ़ दो फीट दूर से कटाई की जाए। "नरवाई न जलाने तथा गौशाला में भूसा दान करने के लिए संकल्प पत्र" संभागायुक्त ने निर्देश दिए कि सभी किसानों को जनहित और पर्यावरण हित में नरवाई नहीं जलाने के लिए संकल्प पत्र भरवाएं जिसमें एस्ट्रारीपर के साथ ही थ्रेसिंग करवाने का संकल्प लिया जाए। उन्होंने कहा कि नरवाई नहीं जलाने पर भूसा भी मिलता है। नरवाई जलाने के दुष्परिणामों का व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए। हर साल नरवाई जलाने से जन-धन की हानि के साथ ही पर्यावरण का नुकसान होता है एवं मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होती है। साथ ही शासकीय गौशालाओं के पशुओं के लिए चारा दान करने के लिए भी संकल्प पत्र भरवाया जाए। उन्होंने कहा कि उपार्जन केन्द्रों पर स्व-सहायता समूहों की सेवा भी ली जाए। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाए। उपार्जन केन्द्रों पर किसानों की सभी सुविधाओं का ध्यान रखा जाए। बिक्री के लिए आए किसानों को टोकन देकर बुलाया जाए ताकि किसानों का समय बर्बाद न हो। उपार्जन केन्द्रों पर किसानों के लिए कृषि, उद्यानिकी एवं संबंधित विभागों की शासकीय योजनाओं की जानकारी एवं पठनीय सामग्री जैसे कृषि संबंधी पत्र-पत्रिकाएं आदि उपलब्ध कराई जाएं। खरीदी केन्द्रों पर किसानों को सभी नियमों की अच्छे से जानकारी दी जाए साथ ही गेहूं की तुलाई में कोई भी गड़बड़ी न हो। उपार्जन केन्द्रों पर किसानों के साथ कोई भी बेईमानी न हो इसकी सुनिश्चित व्यवस्था की जाए। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश / उमेद-hindusthansamachar.in

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