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देश की प्राकृतिक संपदा-संसाधन कारपोरेट के हवाले करने वाला बजट : माकपा

भोपाल, 01 फरवरी (हि.स.)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को संसद में आम बजट पेश किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने इसे देश के सार्वजनिक क्षेत्र, प्राकृतिक संसाधनों और संपदा को कारपोरेट के हवाले करने वाला बजट बताया है। पार्टी के राज्य सचिव जसविन्दर सिंह ने सोमवार को मीडिया को जारी अपने बयान में कहा है कि सरकार ने बजट से पूर्व श्रमिक संगठनों सहित विभिन्न तबकों और समुदायों से चर्चा करने की परंपरा को तिलांजलि देकर सिर्फ कारपोरेट के हितों की रक्षा की है। माकपा ने कहा है कि जब देश का किसान खेती के कारपोरेटीकरण के खिलाफ पिछले दो महीने से ज्यादा समय से राजधानी को घेरे हुए बैठा है, तब भी नरेंद्र मोदी सरकार के बजट ने खेती को कारपोरेट के हवाले करने की कोशिशों को आगे बढ़ाने वाला बजट प्रस्तुत किया है। इस बजट में खेती के बजट में पिछले साल की तुलना में आठ प्रतिशत की कटौती कर इसे 134349 करोड़ से घटाकर 122961 करोड़ कर दिया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की किसानों की मांग को भले ही मोदी सरकार ने स्वीकार ने किया है, मगर इसकी जरूरत तो वित्त मंत्री के भाषण से स्पष्ट हो गई है। वित्त मंत्री ने दावा किया है कि देश में 1.54 करोड़ किसानों ने अपनी फसल को एमएसपी पर बेचा है। जिससे साफ है कि देश के 12 करोड़ 46 लाख किसानों को अपनी फसल औने पौने दामों पर बेचने पर मजबूर होना पड़ा है। माकपा के राज्य सचिव ने कहा है कि प्रधानमंत्री जिस किसान सम्मान निधि की बात करते हैं, उसमें भी 10 हजार करोड़ की कटौती कर 75 हजार करोड़ से घटाकर 65 हजार करोड़ कर दिया है। इस बजट में पिछले बजट की तुलना में लगभग सारी जन कल्याणकारी योजनाओं के बजट में कटौती की है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि अधिकांश योजनाओं में पिछले छह सालों से लातार कटौती हो रही है। कुल मिलाकर यह बजट सिर्फ कारपोरेट के इशारे पर कारपोरेट के हितों को ध्यान में रख कर बनाया गया बजट है। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश-hindusthansamachar.in

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