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महाशिवरात्रि के बाद से भस्मार्ती दर्शन की बुकिंग नहीं होगी प्रारंभ

महाशिवरात्रि के बाद से भस्मार्ती दर्शन की बुकिंग नहीं होगी प्रारंभ उज्जैन,26 फरवरी (हि.स.)। महाकालेश्वर मदिर प्रबंध समिति के सूत्रों का कहना है कि देशभर में सामने आ रहे कोरोना के मामलों को देखते हुए समिति द्वारा भस्मार्ती बुकिंग पुन: प्रारंभ नहीं की जाएगी। वर्तमान व्यवस्था ही चलती रहेगी। सूत्रों के अनुसार फिलहाल अभी चल रही व्यवस्था का ही पालन करवाया जाएगा। चूंकि आनेवाले महीनों में स्थानीय निकाय चुनाव है वहीं परीक्षाओं का दौर रहेगा। इसके चलते पर्यटक के रूप में बाहर से आनेवाले श्रद्धालुओं की संख्या भी कम ही रहेगी। ऐसे में अभी यदि भस्मार्ती बुकिंग बंद रखी जाती है तो भी चलेगा। अपील करेंगे, दर्शन करने न आएं, ऑन लाइन दर्शन करवाएंगे कोरोना के बीच केंद्र सरकार के प्रोटोकाल जैसे मॉस्क पहनना, दो गज की सामाजिक दूरी रखना आदि को लेकर महाशिवरात्रि पर्व पर श्रद्धालुओं को दर्शन कैसे करवाए जाएं,इस पर महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति और जिला प्रशासन द्वारा मंथन किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इस बार संभव है कि दर्शन कराने में आंकड़ों से अधिक व्यवस्थाओं एवं प्रोटोकाल पर ध्यान दिया जाए। श्रद्धालुओ से अपील की जाए कि वे कोरोना के चलते दर्शन करने न आएं, ऑन लाइन दर्शन करवाए जाएंगे। महाकालेश्वर मंदिर में व्यवस्थाएं सुधारने गया दल मल्लिकार्जुन पहुंचा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पिछले दिनों महाकाल मंदिर को लेकर हुई बैठक के बाद प्रशासन को निर्देश दिए थे कि मंदिर में दर्शन व्यवस्था में सुधार लाने के लिए दिल्ली सहित देश के उन मंदिरों में जाकर व्यवस्थाएं देखो,जहां पर भीड़ प्रबंधन को लेकर काम किया जा रहा है। महाकालेश्वर मंदिर में इसी बात की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इधर अधिकारियों ने अपने स्तर पर योजना बनाई और पूर्व में तिरूपति बालाजी जा चुके होने के बावजूद दोबारा से वहीं जाने का निर्णय लिया। इस बहाने कथित रूप से दक्षिण भारत में पर्यटन का मौका भी हाथ लग गया। यह दल गुरुवार रात को मल्लिकार्जुन पहुंचा। दल के सदस्य पर्यटन का लुत्फ भी उठा रहे हैं। वहीं महाकालेश्वर मंदिर में आज भी दल के तिरूपति बालाजी आदि स्थानों पर जाने को लेकर आलोचना होती रही। यह आरोप गूंजते रहे कि दल के सदस्यों को वहां की सारी जानकारी पूर्व से ही है। पूर्व में जो दल गया था,उसने सारे फीडबेक दिए थे। ऐसे में अन्य जगह जाते तो मंदिर प्रबंध समिति द्वारा किया जाने वाला लाखो रूपये का खर्च उपयोगी सिद्ध होता। हिन्दुस्थान समाचार/ललित ज्वेल

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