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डॉ अंबेडकर की प्रतिमा लगाने के लिए भीम सेना ने दिया धरना, दिग्विजय सिंह पहुंचे धरनास्थल

नागदा/उज्जैन, 27 जनवरी (हि.स.)। जिले के नागदा शहर में 25 वर्ष से चला आ रहा महापुरुषों की प्रतिमा लगाने का विवाद बुधवार को थम गया। स्थानीय प्रशासन ने मंगलवार रात को एक महापुरुष महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित कर दी। जिससे संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के अनुयायी व भीम सेना के कार्यकर्ता नाराज हो गए और प्रतिमा स्थल पुराने बस स्टेंड पर धरने पर बैठ गए। बुधवार सुबह 8 बजे एक-एक कर भीम सेना कार्यकर्ता आंदोलन स्थल पर पहुंचे और भीमराव की प्रतिमा भी लगाने की मांग करने लगे। आंदोलनकारियों का कहना था कि उसके आराध्य देव डॉ अंबेडकर की प्रतिमा पुराने बस स्टैंड के मध्य में ही आज ही लगाई जाए। प्रशासन ने कहा कि इस स्थान पर प्रतिमा नहीं लगाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। इसलिए अन्य स्थान तय कर लेते है। लेकिन आंदोलनकारी राजी नहीं हुए। बाद में सांसद प्रतिनिधि प्रकाश जैन ने आंदोलनकारियों से बातचीत कर उनको समझाया, जिसके बाद दोपहर 1 बजे आंदोलनकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल, राजनेता व प्रशासन के अधिकारियों के बीच सर्किट हाउस पर चर्चा हुई। चर्चा में डॉ अंबेडकर की प्रतिमा लगाने का स्थान पुराने बस स्टेंड पर यात्री प्रतिक्षालय के समीप तय हुआ। चर्चा में पूर्व विधायक दिलीपसिंह शेखावत, पूर्व नपा अध्यक्ष अशोक मालवीय, सांसद प्रतिनिधि जैन, एसडीएम आशुतोष गोस्वामी, तहसीलदार आरके गुहा, नपा सीएमओ भविष्य कुमार खोबग्रडे, थाना प्रभारी श्यामचंद्र शर्मा, भीम सेना के पुष्पेंद्र सोलंकी, अजय जाटवा, दुर्गेश चौहान , बंटी जटिया, गोपाल गुजरवाडिया, ओमप्रकाश परमार, सलमान शाह मौजूद थे। इस बैठक के बाद प्रशासन व राजनेता पुराने बस स्टैंड पर पहुंचे और आंदोलनकारियों को स्थान बताया। जिसके बाद सब ने समर्थन दिया और उसी दौरान प्रतिमा लगाने के कार्य का भूमिपूजन भी कर दिया गया। इसके बाद प्रशासन ने राजा जन्मेजय की प्रतिमा लगाने के स्थान का भी भूमिपूजन कर दिया। भूमिपूजन पूर्व नपा अध्यक्ष मालवीय व सांसद प्रतिनिधि जैन ने किया। पूर्व मुख्यमंत्री भी पहुंचे आंदोलनकारियों का प्रतिनिमंडल जब सर्किट हाउस से चर्चा कर लौटा उसी दौरान उधर से गुजर रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व विधायक दिलीपसिंह गुर्जर भी धरना स्थल पर पहुंच गए। पूर्व मुख्यमंत्री ने उन से उनकी समस्या पूछी तो उनका कहना था कि हम चाहते है कि बस स्टैंड के मध्य में प्रतिमा लगाई जाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे एक माह का समय दे अगले 25 फरवरी तक में प्रतिमा लगवा दूंगा। इस पर आंदोलनकारी नाराज और कहा कि जो भी फैसला लेना है आज ही ले। गौरतलब है कि शहर में महापुुरुषों की प्रतिमा लगाने का विवाद वर्ष 1997 से चला आ रहा था। राणा प्रताप व डॉ अंबेडकर के अनुयायी दोनों एक ही स्थान पर ही प्रतिमा लगाने की मांग पर अड़े हुए थे। हिन्दुस्थान समाचार, कैलाश सनोलिया-hindusthansamachar.in

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