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एशिया के सबसे बड़े सर्वोदय जैन मंदिर अमरकंटक में विराजमान हैं अष्टधातु भगवान महावीर

- 17 हजार किलोग्राम अष्टधातु के कमल पर विराजमान है 24 हजार किलोग्राम वजन की यह प्रतिमा - यह जैन मंदिर करीब 4 एकड़ में बन रहा, इसकी कुल ऊंचाई 151 फीट, 125 फीट चौड़ाई और 490 फीट लम्बी होगी अनूपपुर, 25 अप्रैल (हि.स.)। शांति और अहिंसा के प्रतीक जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर की स्मृति में अमरकंटक में निर्माणाधीन सर्वोदय जैन मंदिर भारत ही नहीं एशिया महाद्वीप के बड़े अष्टधातु के मंदिरों में एक माना जा रहा है। जहां भगवान आदिनाथ की 24 फीट ऊंची प्रतिमा 24 हजार किलोग्राम वजन के अष्टधातु से ढली है। यह 17 हजार किलोग्राम अष्टधातु की कमल आसनी पर विराजमान है। यहां पर कुल 41 हजार किलोग्राम अष्टधातु की भगवान महावीर की पूर्ण प्रतिमा स्थापित की गई है। बताया जाता है कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के लिए प्रस्तावित आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की प्रेरणा से कानपुर (उन्नाव) में ढली अष्टधातु से निर्मित 24000 किलोग्राम वजनी संसार की सबसे वजनदार भगवान श्री आदिनाथ की पद्मासन प्रतिमा है, जिन्हें सनातन सम्प्रदाय में भी आदिब्रह्मा के नाम से जाना जाता है। इसे आचार्य श्री विद्यासागरजी ने 6 नवम्बर 2006 को विधि-विधान से स्थापति किया था। हालांकि वर्तमान में मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। यह देखने पर गुजरात के अक्षरधाम मंदिर की स्वरूप से मिलता जुलता है, जो चार एकड़ भूमि में फैला है। यह मंदिर जैन समाज की अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है, जिसके निर्माण पर 20 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके डिजाइन और निर्माण में 300 कारीगर लगे हैं। यह होगा मंदिर का आकार- जानकारों के अनुसार मंदिर के गुंबद की ऊंचाई 144 फीट है। जबकि मंदिर का सिंहद्वार 51 फीट ऊंचा 42 फीट लम्बा तैयार किया जा रहा है। इसके निर्माण में राजस्थान की गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। इस मंदिर को बनाने में सीमेंट और लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। जानकारों के अनुसार मंदिर का निर्माण कार्य 2015 तक पूरा हो जाना तय किया गया था लेकिन अब तक मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। मंदिर और मूर्ति की खासियत- मंदिर में भगवान आदिनाथ की 24 फीट ऊंची प्रतिमा अष्टधातु के बने कमल सिंहासन पर विराजमान तथा गर्भगृह में भगवान आदिनाथ विराजित हैं, के साथ परम्परानुसार अष्टमंगल चिह्न भी उत्कीर्ण किए गए हैं। प्रतिमा का आभामंडल विशाल है। दाएं-बाएं चंवरधारिणी तथा इनके ऊपर मंगल कलश स्थापित हैं। द्वार शाखाओं एवं सिरदल पर कमल पुष्पांकन हैं। प्रतिमा के वक्ष स्थल पर जैन प्रतिमा लांछन श्री वत्स बना हुआ है। 24 हजार किलोग्राम वजनी अष्टधातु की प्रतिमा की ढलाई उन्नाव कानपुर में की गयी है जबकि 17 हजार किलोग्राम वजनी अष्टधातु कमल आसन को अहमदाबाद में ढाला गया है। निर्माण योजना के अनुसार मंदिर की ऊंचाई 151 फीट, चौड़ाई 125 फीट तथा लम्बाई 490 फीट रखी है। जब मंदिर निर्माण की योजना बनी थी तब इसकी अनुमानित लागत लगभग 60 करोड़ रुपये आंकी गई थी लेकिन बढ़ती हुई मंहगाई में कई गुनी हो गई है। तत्कालीन उपराष्ट्रपति शेखवत ने किया था शिलान्यास- अमरकंटक में अक्षरधाम मंदिर के स्वरूप में बनाए जाने वाले सर्वोदय जैन मंदिर का गत 23 अप्रैल 2007 को भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति स्व.भैरोंसिंह शेखावत ने शिलान्यास किया था। इस कार्यक्रम में मप्र के तत्कालीन राज्यपाल स्व. डॉ. बलराम जाखड़, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह भी उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला/ रामानुज

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