अफीम के बाद अब लहसुन भी बनेगा मंदसौर की पहचान, सरकार करेगी ब्रॉडिंग
मंदसौर, 11 जनवरी (हि.स.)। जिले में अफीम के साथ मसाला फसलों का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है। इसमें लहसुन प्रमुख है। जिले में हर साल लगभग 1 लाख 82 हजार मीट्रिक टन से अधिक लहसुन का उत्पादन होता है। यह प्रदेश में तीसरे नंबर पर है। शासन ने भी एक जिला एक उत्पाद में केवल मंदसौर के लहसुन को शामिल किया है। प्रशासन द्वारा मंदसौर लहसुन का एक ब्रांड व लोगो तैयार कर किसानों के माध्यम से ही इसे देश, विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाएगा। इससे निश्चित ही किसानों को लाभ होगा। इससे लहसुन उत्पादक के रूप में जिले को देश-विदेश में नई पहचान मिलेगी। मंदसौर का लहसुन अन्य जगह के लहसुन से तीखा व लंबे समय तक चलता है। किसानों द्वारा पैकेजिंग पर थोड़ा-सा ध्यान दिया जाए तो इसकी मांग में और तेजी आ सकती है। इसके लिए उद्यानिकी विभाग खेती में रखने वाली सावधानी, फसल निकालने के बाद खेत में ही उसे किस तरह तैयार करना है, इन सबकी जानकारी किसानों को देगा। जल्द ही प्रशासन मंदसौर लहसुन का ब्रांड व लोगो तैयार करेगा। यह काम करीब डेढ़ माह में हो जाएगा। इसके बाद इसे देश-विदेश में भेजा जाएगा। प्रदेश में सबसे अधिक लहसुन का उत्पादन रतलाम में 26576 हेक्टेयर में होता है। दूसरे नंबर पर नीमच है जहां 22000 हेक्टेयर में लहसुन होता है। तीसरे नंबर पर मंदसौर आता है। यहां 18211 हेक्टेयर में लहसनु का उत्पादन किया जाता है। इसलिए खास है... मंदसौर का लहसुन व्यापारी संतोष गोयल ने बताया कि मंदसौर के लहसुन देश में सबसे अच्छी होती है इसलिए इसकी मांग अधिक रहती है। यह ज्यादा सफेद, कड़क एवं 15 माह तक चलता है। गुजरात का लहसुन छोटा होता है, उसमें डंडी लंबी रहती है। यूपी के लहसुन में काली मूंछ रहती है। राजस्थान का लहसुन 7 से 8 माह में खराब होने लगता है इसलिए हमारा लहसुन सबसे बेहतर है। हिन्दुस्थान समाचार, अशोक झलौया-hindusthansamachar.in