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आत्मनिर्भर भारत के स्वर्णिम भविष्य की संकल्पना है नई शिक्षा नीति : दुबे

गुना, 26 मार्च (हि.स.)। छह वर्ष तक शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, विचारकों, शैक्षिक नेतृत्वकर्ताओं-प्रशासकों के परामर्श, 100000 ग्रामों तक संपर्क, संवाद, अनगिनत सेमिनारों, कार्यशालाओं और गंभीर विमर्श के उपरांत देश में 34 साल बाद तैयार की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अब क्रियान्वयन हेतु देश के समक्ष प्रस्तुत है। यह समग्र एकात्म, सर्वसमावेशी तथा उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा की दिशा में से सशक्त कदम होने के साथ ही 21वीं सदी के लिए आवश्यक कौशलों तथा मूल्य आधारित मनुष्य निर्मात्री शिक्षा पद्धति को लागू करने का मार्ग भी प्रशस्त करती है। वास्तव में यह आत्मनिर्भर भारत के स्वर्णिम भविष्य की संकल्पना है। यह विचार भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांतीय अधिकारी पंडित तुलसीदास दुबे ने शुक्रवार को ओमकार कॉलेज मे भारत सरकार के नीति आयोग एवं भारतीय शिक्षण मंडल के तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर आधारित जिला स्तरीय सेमिनार में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती जी के पूजन एवं वंदना से हुआ। इस मौके पर भारत विकास परिषद के दिलीप सक्सेना विशेष रुप से मौजूद रहे। पं.दुबे ने कहा कि सबको शिक्षा सब को काम देने के मूल विचार पर आधारित नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का दायित्व देश के प्रत्येक शिक्षक तथा सभी स्तर के शैक्षिक नेतृत्व कर्ताओं का है वे अपनी गुरुतर दायित्व के निर्वहन हेतु इसका परिपूर्ण स्वाध्याय कर विद्यार्थियों तक समग्र रूप से पहुंचाएं। केंद्र सरकार द्वारा जो खाका तैयार किया गया है उसके अनुसार 2024 तक नीति के अधिकांश प्रावधानों को लागू कर दिया जावेगा। नीति का सही तरीके से पालन हो रहा है या नहीं इस पर अगले 10 वर्षों तक जिले से केंद्र स्तर तक गठित शिक्षाविदों की समिति द्वारा पैनी नजर रखी जाएगी। सशक्त नियामक संस्थान का गठन किया जाना स्वागत योग्य कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्राध्यापक रामकिशन शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यालयीन शिक्षा के ढांचे में मूलभूत परिवर्तन कर शिक्षा को पूर्व प्राथमिक से सीनियर सेकंडरी तक समग्र बनाकर उसे व्यावसायिक शिक्षा से जोडऩा है। देश के विद्यार्थियों में इस नीति से अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का मुकाबला करने का साहस पैदा हो सकेगा। कॉलेज के डायरेक्टर डॉ प्रदीप सेन ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि उच्च शिक्षा में भी अनेक परिवर्तन बहुप्रतीक्षित थे। अनेक नियामक संस्थाओं का विलय कर एक सशक्त नियामक संस्थान का गठन किया जाना भी स्वागत योग्य कदम है। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक

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