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विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया आदिवासियों की 26 बेटियां उड़ान भरने कर रहीं तैयारियां

मंत्री सिसौदिया बोले- प्रशिक्षण में राशि की कमी नहीं आने देंगे, जिला प्रशासन का प्रयास सराहनीय गुना, 26 जनवरी (हि.स.)। विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया आदिवासियों की 26 बेटियां उड़ान भरने तैयारियां कर रही हैं और जिला प्रशासन उनका संबल बना है। दरअसल, गरीब और विकास की मुख्य धारा जुड़ने से पीछे छूट रही सहरिया आदिवासियों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए जिला प्रशासन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के मार्गदर्शन में 12वीं और उससे ऊपर की शिक्षित सहरिया समाज की बेटियों को शासकीय सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल कराने के उद्देश्य से "उड़ान" अभियान प्रारंभ किया गया है। अभियान अंतर्गत पचौरा, रवी, भीमरामपुर, नर्मदा, लोडेरा, कुशेपुर, भिंडरा, उत्नागर, मंगरोड़ा, सामरसिंगा, आनापुर, लालोनी, बमोरी और चितोड़ा ग्राम की सहरिया बस्ती (सहराना) की उक्त 26 बेटियां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा के माध्यम से ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है, ताकि वे पंख फैलाएं और मुक्त आकाश में उड़ान भरकर अपना, अपने परिवार एवं अपने समाज को और बेहतर तरीके से संवारें। जिला प्रशासन की इस पहल और नवाचार से रू-ब-रू होने और प्रशिक्षार्थी बेटियों का हौसला बढ़ाने के लिए मंगलवार को प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया उनके बीच पहुंचे। उन्होंने इस मौके पर कहा कि जिला प्रशासन प्रगतिशील और आगे बढ़ने की सोच रखता है। यह सराहनीय एवं प्रशंसनीय है। सहरिया आदिवासियों की बेटियों को स्वाबलंबी तथा आत्मनिर्भर बनाने की अनूठी पहल है। इसे और बड़ा करेंगे। उन्होंने कहा कि शासन की योजनाएं और कल्याणकारी कार्यक्रम घर-घर पहुंचे, लोग स्वाबलंबी और आत्म निर्भर बनें तब ही म.प्र.और देश आत्म निर्भर बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की सोच है कि पिछड़ी और सबसे प्राचीन आदिवासी सहरिया जनजाति के विकास की मुख्यधारा से जुडे। उन्होंने कहा कि विकास की तुलना में सहरिया समाज अन्य समाजों से बहुत पीछे है। समाज के बेटियों में हुनर बहुत है और सरकार इन्हें दिशा देने हर प्रकार से सहायता करने को तत्पर है। इस मौके पर उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों एवं प्रशिक्षकों से सीधा संवाद किया। प्रशिक्षणार्थी बेटियों से कहा कि वे प्रशिक्षण उपरांत अपने समाज के उत्थान के लिए भी कार्य करें। उनको सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए प्रेरित करें। उन्होंने सहरिया आदिवासियों की समस्त प्रशिक्षार्थी 26 बेटियों से आवश्वासन भी लिया कि वे सभी प्रशिक्षण उपरांत नंबर एक पर रहेंगी। उन्होंने पढ़ाई के साथ खेलने की भी समझाइश दी। उन्होंने कहा कि खेलने से फिटनेस आती है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सहरिया बेटियों-बेटों के प्रशिक्षण के लिए धन की कमी नही आने देंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा ही प्रशिक्षण सहरिया आदिवासी पुरूषों के लिए भी आयोजित किया जाएं। कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम ने बताया कि सहरिया आदिवासियों को शासन की शत-प्रतिशत योजनाओं से लाभान्वित करने के उद्देश्य से बमौरी क्षेत्रांतर्गत 2020 में सर्वे कराया गया था। उक्त सर्वे में यह सामने आया था कि उनमें ललक है और उनका झुकाव देखकर यह निर्णय लिया गया है कि इन्हें प्रशिक्षण देकर इनके भविष्य को संवारा जा सकता है। इसी क्रम में सर्वप्रथम 26 सहरिया आदिवासियों की बेटियों को 45-50 दिन का नि:शुल्क आवासीय प्रशिक्षण दिलाने तथा पुलिस की निकलने वाली भर्ती में सफल कराने का प्रयास है। इसका उद्देश्य अधिकार हाथ में होने पर इनका हौसला बढेगा तथा वे और आगे की सोचें तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रशिक्षण लेकर नई ऊंचाईयों को छूने उड़ान भरें। बाद में अतिथिगणों ने आरसेटी के विभिन्न प्रशिक्षण कक्षों का अवलोकन किया और भोजन आदि व्यवस्थाओं की जानकारी ली। इस अवसर पर महिला बाल विकास विभाग द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को किताबें, ट्रैक सूट, जूते प्रदान किए गए तथा आवश्यकताएं जानी। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश-hindusthansamachar.in

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