146 दिन बंद रहेंगी शहनाइयां, 24 नवम्बर से शुरू होंगी शादियां
146 दिन बंद रहेंगी शहनाइयां, 24 नवम्बर से शुरू होंगी शादियां

146 दिन बंद रहेंगी शहनाइयां, 24 नवम्बर से शुरू होंगी शादियां

गुना, 01 जुलाई (हि.स.)। बुधवार को देवशयनी एकादश के अवसर पर श्रद्धालुओं ने मंदिरों में जाकर देवी-देवताओं के दर्शन किए। गुरुवार से 146 दिन के लिए शहनाईयां बंद हो गई हैं। अब 24 नवम्बर तक शहनाइयां नहीं बजेंगीं। मंगलवार को शादी के अंतिम दिन सौ से अधिक जिले भर में अलग-अलग जगह शादियां हुईं। इस बार चार की जगह पांच माह नहीं होंगे विवाह देवशयनी एकादश से देव प्रबोधनी एकादशी तक के लिए शादी के कार्यक्रम रूक जाते हैं। इस बीच में कोई शादी नहीं होती है। हर साल चार माह के लिए शादियों के कार्यक्रम रुकते थे लेकिन इस बार लगातार पांच माह तक रोक रहेगी। इसकी वजह अधिकमास होना बताया। इस बार इस अवधि के बीच ही अधिक मास रहगा और इसी वजह से इस बार 146 दिनों तक शादियों पर रोक रहेगी। शादियों में नहीं दिखे नियम और सोशल डिस्टेंस बीते रोज भड़ैया नवमी के दिन गुना शहर के साथ-साथ जिले भर में शादियों की धूम रही। इन शादियों में देखने को मिला कि न तो उनमें अनुमति के अनुसार लोगों की उपस्थिति थी और न ही सोशल डिस्टेंस नजर आया। शादियों में 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति थी, लेकिन कई शादियों में दो सौ से अधिक भी दिखाई दिए। कोरोना की गाइडलाइन के अनुसार शादियों में 50 से अधिक लोग एकत्रित नहीं होंगे, लेकिन गुना की अधिकतर शादियों में इसका पालन होते कहीं भी नहीं दिखा। सावन के पांच सोमवार शुभ फलदायक:आचार्य वशिष्ठ ज्योतिषाचार्य पं. वेणीप्रसाद वशिष्ठ बताते हैं कि सन् 2020 का चातुर्मास पांच महीने का साधना काल रहेगा। पूर्व काल से ही जीव हिंसा से बचने के लिए हमारे ऋषि-मुनि, साधु-संत, साधक- तपस्वीजन एक स्थान पर ही रहकर लोक कल्याणार्थ चातुर्मास के नियमों का यथावत पालन करते हैं। पद्मपुराण के अनुसार कार्तिक मास में किया गया स्नान-दान जपादि समस्त धार्मिक कार्य पापनाशक माना गया है। पुरुषोत्तम मास 18 सितम्बर से 16 अक्टूबर 2020 तक रहेगा। इस बार सावन मास छह जुलाई से शुरू हो रहा है।जिसके तहत पांच सावन पड़ेंगे। शास्त्रों के अनुसार श्रावण से कार्तिक मास जप-तप व्रतोपासना का विशेष पर्व काल माना गया है। इस समय भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। सावन में शिव जी, भाद्रपद में श्री गणेश एवं आश्विन मास में श्री दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना साधना से मन वांछित फल प्राप्त होते हैं। आचार्य वशिष्ठ ने बताया कि इस दौरान गृहारंभ, जीर्ण गृह प्रवेश, उग्रदेवता प्रतिष्ठा- दुकान-उद्घाटन व्यापारिक मुर्हुत, वाहन क्रय-विक्रय अनुष्ठान आदि कर सकते हैं। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक-hindusthansamachar.in

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