सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया
सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया

सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया

रांची, 10 जुलाई (हि. स.)। वैश्विक कोरोना महामारी के दौरान विद्यार्थियों और अभिभावकों की समस्याओं को लेकर प्रदेश कांग्रेस की ओर से शुक्रवार को स्पीक अप स्टुडेंट्स के माध्यम से सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मंत्री रामेश्वर उरांव ने सरकारी और निजी स्कूलों, कॉलेज विश्वविद्यालय वोकेशनल कोर्स, इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट में अध्ययनरत में छात्र छात्राओं और उनके अभिभावकों तथा इन शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों की परेशानियों को लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से वीडियो अपलोड कर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। साथ ही सभी बच्चों का फीस माफ किए जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग कॉलेज मेडिकल कॉलेज और अन्य वोकेशनल कोर्स में गरीब, और निम्न मध्यमवर्ग परिवार के बच्चे भी पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन पिछले छह महीने के दौरान लॉकडाउन में व्यवसायिक गतिविधियां प्रभावित हुई है। बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार से भी हाथ धोना पड़ा है जबकि दुकान और व्यापारिक प्रतिष्ठान नहीं खुलने के कारण भी लोगों की मुश्किलें बढ़ी है। ऐसे संकट की घड़ी में केंद्र सरकार शिक्षण संस्थानों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराएं और गरीब बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सहायता मुहैया कराए। सभी शैक्षणिक संस्थानों को छह महीने के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करे। उराँव ने शुक्रवार को केन्द्र सरकार से यह भी माँग की है कि कोरोना संकट के दौरान किसी भी प्रकार की परीक्षा आयोजित नहीं की जानी चाहिए। क्योंकि वर्तमान कोरोना संकट की विकट परिस्थिति को देखते हुए परीक्षाएं लेना खतरों से खाली नही होगा। सभी छात्रों को उनके पिछले सालभर के परफोरमेंस के आधार पर पास कर देना चाहिए। प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता ने बताया कि झारखंड के हजारों-लाखों विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों ने अपनी समस्या को लेकर स्पीक अप स्टुडेंट्स कार्यक्रम के माध्यम से अपनी बात को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के कारण स्कूल-कॉलेज, यूनिवर्सिटी, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज वोकेशनल कोर्स और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बाधित है। वहीं अभिभावक भी आर्थिक संकट से घिरे हुए है। दूसरी तरफ निजी स्कूल, इंजीनियरिंग कॉलेज ,मेडिकल कॉलेज वेबसाइट शिक्षा देने में जुटे शैक्षणिक प्रतिष्ठानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की मुश्किल भी बढ़ गयी है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से तत्काल सहायता उपलब्ध कराये जाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इन संस्थानों में मार्च से फीस न आने के कारण विद्यालय अपने शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ है और सभी के लिए जीवनयापन करना अब मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि विद्यालय प्रबंधन एवं समस्त कर्मचारी अत्यधिक मानसिक तनाव और पीड़ा से गुजर रहे हैं, जो जानलेवा साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि गरीबों और किसानों के लिए योजना बनाते समय सरकार यह कैसे भूल सकती है कि सभी के बच्चों का भविष्य बनाने वाले शिक्षक ,छात्र सभी आज भुखमरी की कगार पर आ गये हैं। क्या सरकार का उनके प्रति कोई दायित्व नहीं बनता। प्रवक्ताओं ने कहा है कि लॉकडाउन और आर्थिक संकट के कारण माता-पिता अपने बच्चों के शैक्षणिक शुल्क का भुगतान करने में असमर्थ है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना संकट में परीक्षाओं का आयोजन अभिभावकों एवं बच्चों के लिए काफी मुश्किल भरा होगा, परीक्षाएं तत्काल स्थगित कर दी जानी चाहिए और उनके छह महीने से साल भर के परफॉर्मेंस के आधार पर उन्हें उत्तीर्ण करना उचित रहेगा। साथ ही साथ अगर परीक्षा सितंबर में होगी या देरी से होगी तो छात्रों का पूरा शैक्षणिक वर्ष बेकार चला जाएगा वे परिणाम तक उच्च शिक्षा के साथ-साथ रिक्तियों के लिए भी आवेदन नहीं कर सकते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार सभी छात्रों को राहत देने का काम करे। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण/ विनय-hindusthansamachar.in

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