सिक्के, करेंसी, माचिस की डिब्बियों का संग्रह करते रांची के विभूति
सिक्के, करेंसी, माचिस की डिब्बियों का संग्रह करते रांची के विभूति

सिक्के, करेंसी, माचिस की डिब्बियों का संग्रह करते रांची के विभूति

रांची, 15 सितम्बर ( हि.स.)। कोरोना संक्रमण में लोग अपने हुनर को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने कोरोना काल के दौरान अपनी दबी हुई इच्छाओं को पूरा करने का मौका ढूंढा। अमूमन लोगों को धन-दौलत, जमीन-जायदाद या फिर, सोने-चांदी जमा करने की चाहत होती है। लेकिन एक ऐसे अजीबोगरीब इंसान हैं जिनकी जमा-पूँजी सदियों पुराने सिक्के, विभिन्न देशों की करेंसी और माचिस की डिब्बियां हैं। वाकई शौक बड़ी चीज है, लेकिन जब शौक जुनून बन जाए तो बड़ा करिश्मा कर जाता है। करिश्मा ऐसा जिसके लिए एक पूरी जिंदगी भी कम पड़ जाए और देखने वाले की नजर फटी की फटी रह जाय। हालांकि जिम्मेदारी भरी नौकरी और भरे-पूरे परिवार की जवाबदेही के साथ यह करिश्मा कर दिखाया है रांची के एक सख्श ने जिनका नाम विभूति भूषण राय है और वे बैंक मे नौकरी करते हैं। विभूति भूषण के पास अलग-अलग काल और देशों के सिक्के, करेंसी और माचिस की डिब्बियों का विशाल संग्रह मौजूद है। इनके पास गजनी सुल्तान, फिरोज शाह तुगलक और विभिन्न मुगल साम्राज्य से लेकर ब्रिटिश एनी सोने के सिक्के मौजूद हैं। साथ ही पचास से अधिक देशों के नोट और यूरोपीय देशों, आस्ट्रेलिया, अमेरिकन, चीन, दुबई समेत 20 से अधिक देशों की नई-पुरानी और रंग-बिरंगी माचिस की डिब्बियां सुरक्षित हैं। विभूति भूषण के पिता ने चंद पुराने सिक्कों की पूँजी इन्हें सौंपी थी, जिसे अपने चार दशक से अधिक की कड़ी मेहनत से बढ़ा कर इन्होंने अकूत कर दिया। समय के साथ इनके शौक को इनकी जीवनसंगिनी ने भी अपना लिया और कभी न खत्म होनेवाले इस सफर मे वह भी हमसफर हो गईं। अब तो विभूति की बेटियों ने भी पिता के इस शौक को अपना शौक बना लिया है वे पिता की विरासत को और भी समृद्ध करने का मन बना चुकी हैं। विभूति भूषण के पास महात्मा गांधी की विभिन्न हस्तलिखित पत्रों की प्रतियां और दुर्लभ डाक टिकटें भी मौजूद है। जीवन के तमाम झंझावातों के बावजूद जिस तरह इन्होंने अपने बचपन के शौक को मरने नहीं दिया, वह काबिले तारीफ़ है। हिंदुस्थान समाचार /विनय/वंदना-hindusthansamachar.in

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