बाबा मंदिर को लेकर अलग-अलग राह, पाई-पाई को माेहताज छोटे व्यवसायी
बाबा मंदिर को लेकर अलग-अलग राह, पाई-पाई को माेहताज छोटे व्यवसायी

बाबा मंदिर को लेकर अलग-अलग राह, पाई-पाई को माेहताज छोटे व्यवसायी

देवघर, 11 अक्टूबर(हि.स.) । द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथधाम में आम जनों के लिए प्रवेश और धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप स्पर्श पूजन एवं जलाभिषेक को लेकर मामला गरमाता ही जा रहा है। एक ओर भाजपा नेता द्वारा शनिवार को जमकर बबाल करते हुए मंदिर में प्रवेश कर स्पर्श पूजा की गई थी तो दूसरी ओर पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री कार्तिक नाथ ठाकुर ने डीसी कमलेश्वर सिंह से मिलकर उपरोक्त घटनाक्रम को राजनीतिक स्टंट करार दिया। कहा कि तीर्थ-पुरोहितों का इस घटनाक्रम से कोई सरोकार न होने की बात कह खेद प्रकट किए तो वहीं डीसी देवघर ने देर शाम को यह घोषणा कर दी कि सुबह 6 बजे से 2 बजे तक अधिकतम 1000 अंतरराज्यीय श्रद्धालु 50-50 की संख्या में क्रमवार पूजन की स्वीकृति प्रदान करते हुए इसकी घोषणा कर दी। इतना ही नहीं, मंदिर में स्पर्श पूजा को लेकर उपजे विवाद और काफी हद तक उग्र प्रदर्शन को देखते हुए विधि-व्यवस्था संघारित करने के लिए देर शाम ही भारी पुलिस बल ने शहर में फ्लैग मार्च कर स्थिति को नियंत्रित करने का अपनी मौजूदगी का एहसास कराया। गौरतलब है कि बाबाधाम में प्रतिदिन हजारों-हजार की संख्या में श्रद्धालु पूजन के लिए आते हैं, जिसकारण देवघर की अर्थव्यवस्था काफी हदतक मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं पर आधारित है। लेकिन कोविड-19 के कारण लॉक डाउन की वजह से मंदिर में आम लोगों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिए जाने से तीर्थ पुरोहितों सहित धार्मिक संस्कारों से जुड़े प्रसाद,पेड़ा-चूड़ा, बद्दी ,फूल -बेलपत्र , बर्तन , होटल -धर्मशाला सहित अन्यान्य व्यवसाय से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति बदहाल हो गयी है और लगातार मंदिर को खोले जाने के लिए धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन जिला प्रशासन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखकर मंदिर आम जनों के लिए पूर्ण रूप से खोले जाने का विरोध में थे। अब सवाल गहराने लगा है कि मंदिर से जुड़े मामले को लेकर कोर्ट तक जाकर आंशिक रूप से जलार्पण का आदेश ले आने वाले स्थानीय सांसद निशिकांत दुबे और उनकी टीम द्वारा आम जनों के लिए मंदिर खोले जाने को लेकर गोलबंद हैं ।वहीं तीर्थ पुरोहितों की संस्था पंडा धर्मरक्षिणी सभा द्वारा घटना पर खेद जताने के बाद अब यह स्प्ष्ट हो गया है कि लॉक डाउन के कारण बदहाली झेल रहे लोगों की सुधि लेने के बदले बाबा मंदिर को लेकर शह-मात के इस खेल में संलिप्त लोग आखिर इसे राजनीति का अखाड़ा बनाने पर क्यों तुले हुए हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि मंदिर के आम जनों के लिए बंद होने से हज़ारों परिवार पाई-पाई को तरस रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/चन्द्र विजय-hindusthansamachar.in

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