नगर आयुक्त का रवैया प्रोटोकॉल के तहत गैर-जिम्मेदाराना है : मेयर
नगर आयुक्त का रवैया प्रोटोकॉल के तहत गैर-जिम्मेदाराना है : मेयर

नगर आयुक्त का रवैया प्रोटोकॉल के तहत गैर-जिम्मेदाराना है : मेयर

रांची, 16 अक्टूबर (हि. स.)। रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि श्री पब्लिकेशन एंड स्टेशनर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ किए गए एकरारनामा से संबंधित कानूनी व तकनीकी बिंदुओं पर शुक्रवार को भी बैठक नहीं हुई। बैठक में नगर आयुक्त मुकेश कुमार नहीं आए। बैठक में उप नगर आयुक्त शंकर यादव समेत निगम के अन्य अधिकारी पहुंचे थे। आशा लाकड़ा शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि नगर आयुक्त का रवैया प्रोटोकॉल के तहत गैर-जिम्मेदाराना है। क्या मेयर नगर आयुक्त के शर्तों पर बैठक करने के लिए बाध्य होगी। पूर्व में ही नगर आयुक्त को सूचित किया गया था कि इस बैठक में उनकी उपस्थिति अनिवार्य है। नगर आयुक्त को निर्देश दिया गया है कि कानूनी व तकनीकी मंतव्य में पाई गई खामियों के आधार पर श्री पब्लिकेशन एंड स्टेशनर्स प्राइवेट लिमिटेड को आरएफपी में किए गए प्रावधान के तहत काली सूची में डालने की कार्रवाई करें। संबंधित एजेंसी ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर टेंडर हासिल किया है। नगर आयुक्त को यह भी निर्देश दिया गया है कि पूर्व में निगम परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय का अनुपालन कर मेसर्स स्पैरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड को राजस्व संग्रह कार्य के लिए कार्य विस्तार दिया जाए। कार्यादेश में यह प्रावधान हो कि यदि हाईकोर्ट का निर्णय रांची नगर निगम के विरुद्ध आया तो मेसर्स स्पैरो सॉफ्टेक के साथ रांची नगर निगम द्वारा किया गया एकरारनामा स्वतः रद्द हो जाएगा। उन्होंने कहा कि रांची नगर निगम में कार्यपालिका व विधायिका दोनों है। इस लिहाज से नगर आयुक्त का यह दायित्व है कि वे कार्यपालिका और विधायिका के बीच चेक इन बैलेंस बनाकर रखें। रांची नगर निगम ऑटोनोमस बॉडी है। यहां निगम परिषद की बैठक में ही किसी प्रकार के निर्णय लिए जाते है। विभागीय निर्देश या किसी योजना से संबंधित प्रस्ताव पर भी निगम परिषद से स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य है। लोकसभा, राज्यसभा सदस्य व चार विधायक भी निगम के सम्मानित सदस्य हैं। नगर आयुक्त के इस रवैये से उनके मान-सम्मान को भी ठेस पहुंचा है। संबंधित एजेंसी से ऐसे कर्मचारियों के दस्तावेज की मांग की गई थी जो 12 माह से अधिक संबंधित फर्म में कार्यरत हों। लेकिन संबंधित एजेंसी द्वारा जमा किए गए दस्तावेज को खुली आंख से नहीं पढ़ा जा सकता। संबंधित एजेंसी ने गलत तरीके से टेंडर हासिल करने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट राहुल जैन का सीवी जमा किया गया है। राहुल जैन आर जैन एसोसिएट के नाम से पार्टनरशिप फर्म ऑपरेट करते हैं। उन्होंने घोषणा पत्र के माध्यम से कहा है कि उन्होंने अपना सीवी सिर्फ निविदा में भाग लेने के लिए श्री पब्लिकेशन एंड स्टेशनर्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया है। इससे यह स्पष्ट है कि राहुल जैन श्री पब्लिकेशन एंड स्टेशनर्स प्राइवेट लिमिटेड के नियोजित कर्मचारी नहीं हैं। संबंधित दस्तावेज के आधार पर 200 अंक देकर श्री पब्लिकेशन को लाभ पहुंचाया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण/विनय-hindusthansamachar.in

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