ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने  में मत्स्य पालन और जाल निर्माण की भूमिका  महत्वपूर्ण
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में मत्स्य पालन और जाल निर्माण की भूमिका महत्वपूर्ण

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में मत्स्य पालन और जाल निर्माण की भूमिका महत्वपूर्ण

रांची, 28 सितम्बर ( हि.स.) । झारखंड में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में मत्स्य पालन और इससे जुड़े जाल निर्माण की महत्वपूर्ण भूमिका है। लुप्त प्राय हो रहे जाल निर्माण से जुड़े रांची के हुनर बाजो को उम्मीद है कि सरकार इनकी तरफ मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाएगी। नदियों, तालाबों और विभिन्न जलाशयों में जाल के माध्यम से मछली पकड़ते लोगों ने अक्सर देखा होगा। लेकिन शायद ही कुछ लोग जानते होंगे की एक जाल बनाने में एक साल तक का समय लग जाता है। जाल निर्माण से जुड़े सुखन केवट बताते है कि छोटी मछली पकड़ने वाले जाल को बनाने में एक साल का लंबा समय लगता है जबकि बड़ी मछली पकड़ने वाले जाल को बनाने में छः महीने का समय लग जाता है। कड़ी मेहनत के बाद बने इन जालों की कीमत 12 हजार से 15 हजार रुपए तक होती है। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में जाल निर्माण भी बच नहीं पाया है। गांव के इन कारीगरों के समक्ष मशीनों में बनने वाली सस्ती जाल से चुनौती लेनी पड़ रही है जिसकी कीमत मात्र पांच सौ रुपये से शुरू होती है। पूर्वजों की परंपरा को आगे बढ़ा रहे इन लोगों का कहना है कि सरकारी मदद मिले तो इन्हें जीवन यापन करने में काफी मदद मिलेगी। बुजुर्ग हो चुके लगन देव केवट ने सोमवार को अपनी बातों को रखते- रखते खुद भावुक हो जाते हैं। समय के साथ आए बदलाव ने जाल निर्माण पर प्रतिकूल असर डाला है। संकट के इस दौर में इन ग्रामीणों को वर्तमान सरकार से काफी उम्मीदें हैं। हिंदुस्थान समाचार /विनय/वंदना-hindusthansamachar.in

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