खुद को व्यस्त रखकर अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति से बचा जा सकता है : पांडेय
रांची, 04 जुलाई (हि. स.)। रांची विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की ओर से शनिवार को "अवसाद व आत्महत्या" (डिप्रेशन और सुसाइड) विषय पर आधारित एक दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमेश कुमार पाण्डेय ने कहा कोविड-19 महामारी के कारण समाज के सभी क्षेत्रों के व्यक्तियों में मानसिक अवसाद, तनाव , अनिद्रा , चिड़चिड़ापन जैसे कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है एवं बाद में आत्महत्या जैसी घटनाएं हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे विषम परिस्थिति में खुद को नियंत्रित करना , योग व्यायाम आदि नियमित रूप से करना एवं खुद को व्यस्त रखकर अवसाद एवं आत्महत्या की प्रवृत्ति से बचा जा सकता है। प्रति कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कहा लॉकडाउन के कारण विशेषकर छात्रों की पढ़ाई, परीक्षाएं तथा नामांकन में विलंब आदि अवसाद को बढ़ाने का मुख्य कारण बन गई है। मन में कई प्रकार के नकारात्मक ख्याल आते हैं। इससे बचने के लिए परिवार के लोगों का साथ हंसते खेलते समय बिताते हुए अपने जीवन को बचाएं। उन्होंने कहा कि रचनात्मक कार्यों में सक्रिय रहकर सकारात्मक सोच के आधार पर आगे बढ़ने से मानसिक अवसाद से बचा जा सकता है। वेबीनार को रांची विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ पीके वर्मा , कुलसचिव डॉ अमर कुमार चौधरी , डॉ गीता सिंह, डॉ भारती द्विवेदी, डॉ प्रिया पाण्डेय सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया। गूगल मीट पर आयोजित इस सेमिनार में रांची विश्वविद्यालय के विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों, महाविद्यालयों के कार्यक्रम पदाधिकारी , एनएसएस वॉलिंटियर्स ने बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। वेबीनार को सफल बनाने में बृजेश कुमार, एनएसएस के टीम लीडर दीपक गुप्ता, शुभम चौधरी ,सुमित तिवारी दिवाकर आनंद, अनु कुमारी, दुर्गावती कुमारी , स्मृति राज , निकिता सुमन, दीपा कुमारी , रूपा कुमारी व अन्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण/ विनय-hindusthansamachar.in