आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से जनजातीय वर्गों के कल्‍याण के लिए दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत
आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से जनजातीय वर्गों के कल्‍याण के लिए दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत

आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से जनजातीय वर्गों के कल्‍याण के लिए दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत

नयी दिल्ली/रांची, 27 अक्टूबर (हि. स.)। जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने मंगलवार को आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से जनजातीय वर्गों के कल्याण के लिए दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत की। मौके पर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर भी उपस्थित थे। वेबिनार के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुंडा ने कहा कि आर्ट ऑफ लिविंग यानि जीने की कला को हम वास्तविक रूप से कैसे समझे, इसके लिए गुरु रविशंकर देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अभियान चला रहे हैं। इस नयी योजना के तहत पंचायती राज संस्थाओं का संस्थागत विकास कैसे हो, इन सारे विषयों को ध्यान में रखी गयी है। सरकार जनजाति समाज के सशक्तिकरण के लिए बहुत सारे कानून बनाये हैं। उनके विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारों का दो लाख करोड़ का बजटीय उपबंध है। हमें इस बात का ध्यान रखना है कि उनके पारंपरिक व्यवस्था को अक्षुण्ण रखते हुए उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों के बारे में जागरूक करना है। इससे पूर्व श्री रविशंकर महाराज ने कहा कि जनजातियों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। वे पर्यावरण और स्वच्छता के प्रति बहुत जागरूक हैं। उनकी संस्कृति और परंपरा को यथावत रखते हुए उन्हें आधुनिक शिक्षा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जनजातियों, किसानों और निचले तबके के लोगों के लिए केंद्र सरकार ने बहुत अच्छी योजनायें बनायी है। हमें जल्द आत्मनिर्भर भारत बनाना है। इस योजना के तहत झारखंड के पांच जिलों सरायकेला, पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी और गुमला जिला के 30 ग्राम पंचायतों और 171 गांवों में पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे ताकि इन संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों को जनजातीय कानूनों और नियमों के बारे में जागरूक बनाया जा सके। इसका उद्देश्य ऐसे युवकों को उनके कल्याण की विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूक करना है ताकि वे इन योजनाओं का लाभ ले सकें। इस मॉडल के तहत जनजातीय युवकों के बीच से ही युवा स्वयंसेवियों को व्यक्ति विकास प्रशिक्षण प्रदान कर उनमें सामाजिक जिम्मेदारी की भावना का सृजन करना है ताकि वे जनजातीय समुदाय के लिए काम करें और लोगों में जागरूकता का प्रसार कर सकें। आत्मनिर्भर जनजातीय किसान योजना के तहत महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में 10,000 जनजातीय कृषकों को सतत प्राकृतिक कृषि के बारे में प्रशिक्षण देना है, जो, गौ-आधारित कृषि तकनीकों से संबद्ध है। ऐसे किसानों को जैविक कृषि संबंधी प्रमाण पत्र हासिल करने में मदद दी जाएगी और उनके लिए उपयुक्त विपणन अवसरों को भी उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे वे आत्मनिर्भर किसान बन सकें। कार्यक्रम में राज्यमंत्री रेणुका सिंह सरुता,मंत्रालय के सचिव दीपक खंडूकर सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण / वंदना-hindusthansamachar.in

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